-अपर्णा आश्रम सोसायटी के प्रधान सुभाष दत्त व सदस्य कश्मीर ङ्क्षसह पठानिया पर उठ रहे सवाल -योग गुरू धीरेंद्र ब्रह्मचारी की मौत के बाद दोनों बने थे सोसायटी की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य-धीरेंद्र ब्रह्मचारी के समय में रहे गवर्निंग काउंसिल के दो सदस्यों को हटाया गया गुरुग्राम। सिलोखरा गांव में योग गुरू धीरेंद्र ब्रह्मचारी की अपर्णा आश्रम सोसायटी की 24 एकड़ जमीन को बेचने और उसकी रजिस्ट्री कराने का मामला गर्माता जा रहा है। खास बात यह है कि सिर्फ 20 दिनों में ही इस 2500 करोड़ की संपत्ति को बेच दिया गया। इसलिए सोसायटी के प्रधान व सदस्यों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं इस मामले में मानव आवाज संस्था ने आवाज उठाते हुए कहा है कि इस तरह से किसी सोसायटी की जमीन को नहीं बेचा जा सकता। इसलिए संस्था इसे ना केवल अदालत में चुनौती देगी, बल्कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इसकी सीबीआई जांच की मांग भी करने की तैयारी कर रही है। योग गुरू धीरेंद्र ब्रह्मचारी के यहां सिलोखरा गांव स्थित अपर्णा आश्रम सोसायटी की जमीन को बेचने में दिल्ली से लेकर गुरुग्राम तक हुई कार्यवाही सवालों के घेरे में है। साथ ही सोसायटी के प्रधान व सदस्य भी। बता दें कि अपर्णा आश्रम सोसायटी के संस्थापक प्रधान धीरेंद्र ब्रह्मचारी की मौत 9 जून 1994 को एक हवाई जहाज हादसे में हुई थी। इसके तुरंत बाद सभी सदस्यों ने एक मत से मुरली चौधरी को संस्था का प्रधान चुना था। इसके ठीक दो माह बाद 10 अगस्त 1994 को सुभाष दत्त नाम के शख्स की सोसायटी में गवर्निंग काउंसिल के सदस्य के रूप में एंट्री हुई। इसके लगभग पांच साल बाद 10 नवम्बर 1999 को कश्मीर सिंह पठानिया भी अपर्णा आश्रम सोसायटी की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य के रूप में शामिल हुए। यानी ये दोनों धीरेंद्र ब्रह्मचारी की मौत के बाद ही सोसायटी की गवर्निंग काउंसिल में सदस्य बने। धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने अपनी मौत के 3 माह पहले 31 मार्च 1994 को सरकार को जानकारी देकर कहा था कि उनकी इस संस्था के 5 गवर्निंग सदस्य हैं। जिनमें वे खुद तथा श्याम शर्मा, केके सोनी, मुरली चौधरी और रेनू चौधरी हैं। अपर्णा आश्रम सोसायटी को 1973 में सोसायटी एक्ट के तहत दिल्ली में पंजीकृत किया गया था, जिसका पंजीकरण नंबर-5766, दिनांक-25 मई 1973 है। धीरेंद्र ब्रह्मचारी की मौत के बाद संस्था में शामिल हुए सुभाष दत्त और कश्मीर ङ्क्षसह पठानिया को मुरली चौधरी के नेतृत्व में काम करना शायद रास नहीं आया, या फिर उनकी नजर संस्था की अकूत संपत्ति पर थी। सुभाष दत्त द्वारा 18 अक्टूबर 2015 को मुरली चौधरी व रेनू चौधरी को संस्था से निकाल दिया गया। अब यहां सवाल यह भी उठता है कि धीरेंद्र ब्रह्मचारी के सबसे करीबी रहे मुरली चौधरी को क्यों निकाला गया। हालांकि हवाला यह दिया गया कि उन दोनों के कारण संस्था के हितों को नुकसान पहुंच रहा है। सुभाष दत्त ने खुद को प्रधान घोषित करने के लिए दिल्ली साउथ-ईस्ट जिला रजिस्ट्रार के पास 22 अक्टूबर 2020 को एक केस दायर किया। वहां झगड़ा चलने के बाद आखिरकार 4 दिसम्बर 2020 को रजिस्ट्रार ने सुभाष दत्त को अपर्णा आश्रम सोसायटी का प्रधान माना। 4 दिसम्बर से 24 दिसम्बर 2020 के बीच हुई कार्यवाही 4 दिसम्बर 2020 से लेकर 24 दिसम्बर 2020 के बीच अपर्णा आश्रम सोसायटी की 24 एकड़ जमीन बेचने का खेल हुआ है। क्योंकि 4 दिसम्बर को ही रजिस्ट्रार की ओर से सुभाष दत्त को सोसायटी का प्रधान घोषित किया गया। कश्मीर सिंह पठानिया, बीएस पठानिया और एसपी वर्मा भी गवर्निंग काउंसिल के निदेशक इसी तारीख पर बने। इसके 13 दिन बाद यानी 17 दिसम्बर 2020 को इन सबने मिलकर एक प्रस्ताव पास किया। जिसमें कहा गया कि सोसायटी में काफी खर्चे हैं। फंड की कमी है। इसलिए सोसायटी की जमीन में से 24 एकड़ जमीन को बेचना है। प्रस्ताव पारित करने के एक सप्ताह बाद यानी 24 दिसम्बर 2020 को गुरुग्राम जिला की वजीराबाद तहसील में जमीन की रजिस्ट्री करा दी गई। इस मामले में शक की सुई इसलिए भी घूम रही है कि मात्र 20 दिनों सुभाष दत्त प्रधान भी बन गए। जमीन बेचने का प्रस्ताव पारित किया और इस जमीन के खरीददार भी तुरंत ही मिल गए। 20 दिनों में ही 2500 करोड़ की जमीन का सौदा करके इन नए सदस्यों ने करोड़ों के वारे-न्यारे कर लिए। इस तरह से 2500 करोड़ की है 24 एकड़ जमीन मानव आवाज संस्था के संयोजक एडवोकेट अभय जैन के मुताबिक अपर्णा सोसायटी की जमीन की कीमत 2500 करोड़ से भी अधिक है। इसका आंकलन इस तरह से है कि डीएलएफ ने वर्ष 2018 में 11.76 एकड़ जमीन 1496 करोड़ में उद्योग विहार में खरीदी थी। इस हिसाब से अपर्णा सोसायटी की 24 एकड़ जमीन उससे दुगुनी है। इसलिए इसकी कीमत 2500 करोड़ से अधिक है। केंद्र सरकार की तर्ज पर काम करे हरियाणा सरकार केंद्र सरकार ने धीरेंद्र ब्रह्मचारी की जम्मू-कश्मीर के उधमपुर स्थित 126 एकड़ जमीन को अपने अधीन लेकर पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 82 करोड़ रुपए का फंड भी मंजूर किया है। जब सरकार जम्मू-कश्मीर में धीरेंद्र ब्रह्मचारी की जमीन का इस तरह से उपयोग कर सकती है तो फिर हरियाणा सरकार को भी गुरुग्राम के सिलोखरा में धीरेंद्र ब्रह्मचारी की जमीन को अपने कब्जे में लेना चाहिए। आज भी आश्रम में दो प्राइवेट जेट, दो बसें व एक मेटाडोर कंडम हालत में खड़ेे हैं। धीरेंद्र ब्रह्मचारी के गुरुग्राम आश्रम और उधमपुर में हवाई पट्टी बनी हैं। Post navigation मकर संक्रांति 14 जनवरी को कृषि कानूनों की होली जलेगी मुख्यमंत्री की नीति कोरोना नियंत्रण में आई काम: बोधराज सीकरी