मंगल को होनी थी बात उससे पहले पहुंची चिट्ठी.
बातचीत को किसान संगठनों ने भेजा अपना एजेंडा

फतह सिंह उजाला

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में विभिन्न किसान संगठनों सहित देशभर के अनेक किसानों के द्वारा दिल्ली के चारों तरफ लंगर डाले 32 दिन और 32 रात बीत गए। लेकिन कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच 6 दौर की बातचीत के बावजूद भी कोई समाधान निकलता दिखाई नहीं दे दिया। इसी बीच आंदोलनकारी किसान अपने अनोखे ही अंदाज में केंद्र सरकार के दिए उस कानून को वापस लेने की मांग करते आ रहे हैं जो कानून आंदोलनकारी किसानों के मुताबिक उन्होंने कभी मांगा ही नहीं ।

समाधान के वास्ते केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर गौर करते हुए अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा केंद्र सरकार को बातचीत के लिए 28 दिसंबर मंगलवार का दिन निर्धारित कर बताया गया।  कथित रूप से सरकार के द्वारा बातचीत के लिए किसानों ने एजेंडे में साफ-साफ कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रिया विधि को स्पष्ट किया जाए। एमएसपी की कानूनी गारंटी की प्रक्रिया पर भी केंद्र सरकार के द्वारा अपनी बात साफ-साफ कहीं जाए। पराली जुर्माना से किसानों को मुक्ति दी जाए और बिजली कानून के मसौदे में भी बदलाव केंद्र सरकार को करना होगा ।

32 दिन और 32 रात तक जारी किसान आंदोलन के दौरान करीब 40 आंदोलनकारी किसानों के द्वारा अपनी जान गवा देने के बाद केंद्र सरकार और आंदोलनकारी किसान दोनों पक्ष किसी  हद तक बातचीत के लिए आमने सामने बैठने को राजी होते दिखाई दे रहे हैं और ऐसा हुआ भी। इसके लिए 29 दिसंबर मंगलवार को 12 बजे का समय तय किया गया। अज्ञात कारणों से पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि अचानक केंद्र सरकार के द्वारा आंदोलनकारी किसानों को बातचीत के लिए अब 30 दिसंबर बुधवार का समय दिया गया है । इस विषय में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग भारत सरकार के द्वारा पत्र क्रमांक 105/2020 के तहत संयुक्त किसान मोर्चा को अवगत कराया गया है कि भारत सरकार का बैठक हेतु अनुरोध स्वीकार करते हुए किसान संगठनों के प्रतिनिधियों एवं भारत सरकार के साथ अगली बैठक हेतु समय  तय किया गया है ।

किसान संगठनों के द्वारा अवगत कराया गया कि किसान संगठन खुले मन से बातचीत के लिए हमेशा तैयार रहे हैं और रहेंगे । भारत सरकार भी खुले मन से कृषि मुद्दों के तर्कपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्र सरकार के द्वारा  30 दिसंबर बुधवार के लिए आहूत बैठक में क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब के अध्यक्ष डॉ दर्शन पाल, भारतीय किसान यूनियन सिद्धपुर के जगजीत सिंह धालीवाल, भारतीय किसान यूनियन राजेबल के बलबीर सिंह राजेबल, जमूहरी किसान सभा पंजाब के कुलवंत सिंह संधू , भारतीय किसान सभा दकोंदा के बूटा सिंह बुर्जगिल, कुल हिंद किसान सभा पंजाब के बलदेव सिंह निहालगढ़, क्रांति किसान यूनियन के निर्भय सिंह को यह पत्र भेजकर बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया है ।

केंद्र सरकार के द्वारा कहा गया है कि सभी किसान यूनियन और उनके पदाधिकारियों से अनुरोध है कि 30 दिसंबर बुधवार 2 बजे विज्ञान भवन में केंद्रीय मंत्री स्तरीय समिति के साथ सर्वमान्य समाधान हेतु बैठक में भाग लेने के लिए सभी आमंत्रित हैं । केंद्र सरकार के द्वारा इस बैठक के एजेंडे के रूप में कहा गया है कि किसान संगठनों के द्वारा प्रेषित एजेंडा अथवा विवरण की परीपेक्ष्य में तीनों कृषि कानूनो एवं एमएसपी खरीद व्यवस्था के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश 2020 एवं विद्युत संशोधन विधेयक 2020 में किसानों से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

यह तो वह पत्र और एजेंडा है जो केंद्र सरकार के द्वारा आंदोलनकारी किसान संगठनों और उनके पदाधिकारियों को भेजकर अवगत कराया गया है । यहां हल्का संशय फिर महसूस होता है कि अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा केंद्र सरकार से बातचीत से पहले भेजे गए अपने पत्र सहित एजेंडा में चार महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित किया गया है। जिसका गुप्त रूप से लब्बोलुआब यही है कि केंद्र सरकार कथित रूप से नए कृषि कानूनों को रद्द करें या फिर संसद का विशेष सत्र बुलाकर इन कृषि कानूनों को वापस लेकर सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल कर नए सिरे से कृषि कानून बनाने के लिए अपने बड़े दिल का  परिचय कराएं । जिस प्रकार से किसान संगठनों और किसान नेताओं के द्वारा बातचीत के लिए नरमी दिखाई जा रही है ।

बहरहाल केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए कृषि कानूनों और इन्हें वापस लेने के लिए मंगल का दंगल तो टल गया । लेकिन बात एक दिन आगे 30 दिसंबर बुधवार तक चली गई है । अब फिर वही जिज्ञासा सभी किसान संगठनों , अनगिनत आंदोलनकारी किसानों सहित देश और दुनिया में बनी है की 30 दिसंबर बुधवार को लंबे से चली आ रही तकरार का अंत हो जाएगा ? सभी पक्षों को यही उम्मीद है कि सरकार और आंदोलनकारी किसान कृषि कानूनों को लेकर बने विरोधाभास का समाधान निकालना चाह रहे हैं और यह बात भी सही है कि समाधान बातचीत से ही निकलेगा। ऐसे में अब मंगलवार से आगे एक दिन और बुधवार तक देश और दुनिया को इंतजार करना ही होगा । ऐसे में फिर भी कोई समाधान नहीं निकलता है तो आंदोलनकारी अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा और इसकी सहयोगी किसान संगठन पहले ही दिन से कहते आ रहे हैं जो मांगा नहीं , वह हमें दे दिया।  ऐसे में जो जबरन दिया गया, उसे वापस लौटा कर ही जाएंगे।

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