-परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार की खुली पोल
-अधिकारी सस्पेंड भी किए, फिर भी पीडि़त का नहीं हुआ काम

गुरुग्राम। बेरोजगारों को रोजगार देने का और सुशासन का दावा करने वाली मनोहर सरकार में भ्रष्टाचार किस चरम है, इसका खुलासा किया है एक निजी बस चलाने का सपना देखने वाले व्यक्ति ने। पीडि़त का आरोप है कि उसने अधिकारियों को रिश्वत नहीं दी तो उसकी बस की ना तो पासिंग की गई और ना ही स्टेज कैरिज परमिट दिया गया। अधिकारियों के चक्कर काटकर वह थक चुका है। मुख्यमंत्री को शिकायत देकर पीडि़त ने गुहार लगाई है कि उसे न्याय दिया जाए। 


मुख्यमंत्री मनोहर लाल व परिवहन विभाग हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारी शत्रुजीत कपूर को भेजी शिकायत में गुरुग्राम जिला के गांव सोहना ढाणी खंड सोहना निवासी रमेश कुमार पुत्र रामकिशन ने कहा है कि उसने लगभग 18 लाख रुपये की एक नई बस हरियाणा सरकार की योजना 2016/2017, कैटेगरी-सी के अन्तर्गत स्टेज कैरिज परमिट व पासिंग रजिस्ट्रेशन के लिए कर्जा लेकर दिसम्बर, 2019 में खरीदी थी। उसने इसके लिए रेवाड़ी आरटीए (रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी) में फाइल जमा कराई थी। उसका आरोप है कि रेवाड़ी स्थित आरटीए के अधिकारियों ने सभी कागज पूरे होने के बावजूद उसका काम नहीं किया। काम के बदले रिश्वत की मांग की गई। रिश्वत न देने पर उनकी नई बस का स्टैज कैरिज परमिट व पासिंग रजिस्ट्रेशन नहीं दिया। इसकी उन्होंने उच्च अधिकारियों को शिकायत की थी। हरियाणा परिवहन आयुक्त एसएस फुलिया ने खुद इसकी जांच कराई और जांच के बाद आदेश संख्या नम्बर 36101-109 दिनांक 1 सितम्बर 2020 में स्पष्ट कहा है कि अपना सरकारी काम ठीक से न करने के कारण रेवाड़ी आरटीए के ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर महावीर सिंह को संस्पेंड किया जाता है। विभाग के सहायक सचिव को भी इस संदर्भ में चार्ज शीट करने के आदेश दिए, क्योंकि उन्होंने ने भी अपना सरकारी कार्य ठीक से नहीं किया है।

असली कागजात करा चुके हैं जमा
पीडि़त रमेश कुमार का कहना है कि एसएस फुलिया ने अपने आदेश में यह भी लिखा कि रमेश कुमार द्वारा असली कागजात जमा नहीं करवाए गए थे। जबकि वह सारे असली कागजात साथ लेकर गए थे, लेकिन अधिकारियों ने जमा ही नहीं किए। रेवाड़ी आरटीए कार्यालय में अधिकारियों ने स्टैज कैरिज परमिट व पासिंग रजिस्ट्रेशन देने के लिए भारी भरकम रिश्वत की मांग उनसे की गई। रिश्वत नहीं दी तो उसका काम अटका दिया गया। विभाग द्वारा ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर महावीर सिंह को संस्पेंड करना और सहायक सचिव के खिलाफ कार्यवाही करना यह सिद्ध करता है कि विभाग के अधिकारियों ने जान-बूझकर अपने स्वार्थ के लिए उसकी बस का स्टैज कैरिज परमिट व पासिंग रजिस्ट्रेशन नहीं किया।

एक साल से खड़ी है नई बस, किश्त चुकाना मुश्किल
मुख्यमंत्री मनोहर लाल से गुहार लगाते हुए पीडि़त रमेश कुमार ने कहा है कि दिसम्बर 2019 यानी एक साल से उनकी बस ऐसे ही खड़ी है। वह बेरोजगार है। बस की प्रतिमाह 42 हजार रुपए किश्त वह कर्जा लेकर दे रहा है। जिन भ्रष्ट अधिकारियों ने उसके साथ ऐसा बर्ताव किया है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और उसकी बस को बिना देरी किए परमिट व पास दिया जाए, ताकि वह अपने परिवार का पालन कर सके।    

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