भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

किसान आंदोलन आज 19 दिन पूरे कर लिए। यह आंदोलन दिनों-दिन अपने समर्थक बढ़ा ही रहा है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या यह आंदोलन जन आंदोलन बन सरकार को झुका पाएगा?

याद आता है 2011 का अन्ना आंदोलन जो था तो जन लोकपाल बिल के लिए लेकिन बन गया था वह कांग्रेस के विरोध का। उस आंदोलन में अन्ना की संघ और भाजपा तथा अन्य विपक्षी दलों ने भी खूब मदद की थी। कहीं उसी प्रकार यह किसान आंदोलन इस सरकार के लिए घातक सिद्ध न हो, क्योंकि यहां भी बात किसानों की है, आंदोलन किसानों ने आरंभ किया किंतु अनेक राजनैतिक दल इन्हें समर्थन दे रहे हैं। राजनैतिक दलों का समर्थन तो माना कि वे सरकार विरोधी हैं और सरकार का विरोध करने का कोई मौका चूकना नहीं चाहते लेकिन इस आंदोलन में जो देखा जा रहा है वह यह है कि आमजन इसमें शामिल हो रहा है, जिनमें लोक कलाकार भी हैं, ग्रामीण भी हैं, व्यापारी भी है, कर्मचारी भी हैं, युवा भी हैं, वृद्ध भी हैं और बच्चे भी हैं। इसे देखकर याद आती हैं मनोज कुमार की फिल्म की पंक्तियां तेरी पूजा की थाली में लाए हम फल हर रंग के, फूल हर डाल के।

हरियाणा में इस आंदोलन को देखें तो आरंभ में यहां इतना नहीं दिखाई दिया था लेकिन धीरे-धीरे आंदोलनकारियों को जनता का सहयोग मिलता ही जा रहा है और इसे देख हरियाणा सरकार ने कोई नीति तो अवश्य बनाई है। सूत्र बताते हैं कि वह नीति यह है कि इसका ठीकरा कांग्रेस के सिर फोड़ दें। जनता को भाजपाइ यह समझाएंगे कि ये बिल पहले कांग्रेस ही लेकर आई थी और अब कांग्रेस विरोध कर रही है। दूसरी ओर जनता का ध्यान दूसरी आकर्षित करने के भी प्रयास किए जा रहे हैं और किए जाएंगे भी। राजनीति भी यही कहती है। पर परिणाम क्या निकलेगा, यह तो समय के गर्भ में है।

समाज शास्त्रियों और राजनीति के चर्चाकारों से इस बारे में बात हुई तो उनका कहना था कि यह आंदोलन जय प्रकाश नारायण के आंदोलन के बाद पहला इतना बड़ा आंदोलन है और सरकार भी इसे समझ रही है, जिसका प्रमाण यह है कि अभी चंद दिनों पहले शाहीन बाग में इतने दिन आंदोलन होता रहा लेकिन सरकार बातचीत को नहीं गई लेकिन इस आंदोलन में सरकार लगातार आंदोलनकारियों से बातचीत कर रही है और करना चाहती है तथा कथन उनका यह है कि आप सामने बैठो, आपकी सभी बातों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा और हल निकाला जाएगा। इससे लगता है कि सरकार जानती है कि यदि यह आंदोलन लंबा खिंचा तो उसके लिए बहुत दुखदायी होगा।

कुछ चर्चाकारों ने बताया कि शाहीन बाग आंदोलन में सरकार हिंदू-मुसलमान का रूप दे दिया था और इस तरीके से उनके हिंदू वोट बढ़ रहे थे परंतु इस आंदोलन में जो आंदोलनकारी हैं, वे अधिकांश भाजपा के ही वोटर हैं और यदि इतना बड़ा वर्ग भाजपा से कट जाएगा तो भाजपा को सरकार बचाने की तो बात दूर है, अपना वजूद बचाना भी भारी पड़ सकता है।

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