11 दिसम्बर 2020 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने सोमवार से 10वीं व 12वीं कक्षा फिर से प्रारंभ करने के हरियाणा भाजपा सरकार के निर्णय में छात्रों से अनिवार्य रूप से कोविड नेगेटिव रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश को बेतुका फरमान बताया।

विद्रोही ने कहा कि छात्रों को कोरोना है या नही, इसकी जवाबदेही छात्रों व अभिभावकों पर डालकर सरकार अपनी जवाबदेही से भाग रही है। स्कूल में प्रवेश से पहले यह सुनिश्चित करना कि छात्र कोरोना से सक्रंमित तो नही है, यह बात तो समझ में आती है, पर यह छात्र की जवाबदेही क्यों कि वह खुद की प्रमाणित करे कि वह कोरोना नेगेटिव है। हरियाणा सरकार खुद स्कूलों में छात्रों के सैम्पल क्यों नही लेती? छात्रों पर कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट की जिम्मेदारी डालने का अर्थ है कि अभिभावकों को कोरोना टेस्ट के नाम पर लूटने का रास्ता खोलना।

विद्रोही ने सरकार से मांग की कि वह यह बेतुका फरमान तुरन्त वापिस लेकर खुद हर स्कूल में 10-12वीं के छात्रों के कोरोना सैम्पल की व्यवस्था करे, फिर उनका टेस्ट करे और टेस्ट परिणाम आने के बाद भी स्कूल फिर से शुरू करने का काम करे। छात्रों से ही कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट लेकर स्कूल में प्रवेश अनुमति देने का फरमान किसी भी तरह उचित व तर्कसंगत नही है। 

विद्रोही ने कहा कि पहले भी हरियाणा सरकार स्कूलों के संदर्भ में ऐसे बेतुके फरमान जारी कर चुकी है और बार-बार सरकार को स्कूल खोलने के अपने आदेश वापिस लेकर फिर से स्कूल बंद करने को बाध्य होना पडा है। इसका मूल कारण यह है कि सरकार धरातल पर कोरोना बचाव के प्रबंधों की जवाबदेही से भागकर सारी जवाबदेेही स्कूल प्रबंधन, छात्रों व अभिभावकों पर डालकर खुद केवल तमाशबिन बने रहता चाहती है। 

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