10 दिसम्बर 2020स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार कथित प्रगतिशील किसानों को किसान प्रतिनिधि बताकर जिस तरह सत्ता दुरूपयोग व मीडिया मैनेजमैंट से तीन काले किसान कानूनों के पक्ष में प्रायोजित खबरे छपवाकर किसान आंदोलन में फूट का भ्रम फैलाने का जो कुप्रयास कर रही है, वह वास्तविकता से कोसो दूर है। विद्रोही ने कहा कि कथित प्रगतिशील किसान किसानों के प्रतिनिधि न होकर वास्तव में सरकार भक्त होते है। क्योंकि परम्परागत खेती से हटकर वे जो कृषि उत्पादन व व्यापार करते है, वह सरकार के सहयोग के बिना संभव नही है। प्रगतिशील किसान होने का तगमा भी सरकार देती है और परम्परागत खेती से हटकर अलग खेती करने पर सबसिडी भी सरकार देती है। स्वभाविक है कि जिन कथित प्रगतिशील किसानों का सारा कृषि व्यापार ही सरकार व सरकारी आर्थिक सहायता से चलता है, वे सरकार की भाषा से अलग भाषा बोलने की स्थिति में नही है। 

विद्रोही ने कहा कि जमीनी धरातल की वास्तविकता यह है कि हरियाणा में चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या चौ0 देवीलाल-चौटाला परिवार की सरकार रही हो या अब भाजपा की सरकार हो, उक्त कथित प्रगतिशील किसान हर सरकार के भक्त रहे है। जिस दल की सरकार प्रदेश में सत्तारूढ़ होती है और जो भी नेता प्रदेश का मुख्यमंत्री बनता है, उक्त कथित प्रगतिशील किसान उसीे की भक्ति समय-समय पर करते है जो कोई भी जागरूक व्यक्ति इनके गांव में जाकर अन्य ग्रामवासियों या उस क्षेत्र के रिटायर्ड कृषि अधिकारियों से जान सकते है।

विद्रोही ने कहा कि मीडिया का एक वर्ग सरकार के इशारे पर किसान आंदोलन में बटवारे व कृषि कानूनों के प्रशस्ति गीत की प्रायोजित खबरे परोस रहा है जिनका धरातल की वास्तविकता से कोई लेना-देना नही है। वहीं दक्षिणी हरियाणा का राजनीति व सामाजिक इतिहास गवाह है कि उसने कभी भी किसी सरकार के खिलाफ होने वाले जनआंदोलन में भाग लेने की बजाय सत्तारूढ़ दल की ही सदैव भक्ति की है और चुनाव के समय ही किसी दल के प्रति अपनी पंसद व नापसंद को दर्शाया है। इसलिए वर्तमान किसान आंदोलन से दक्षिणी हरियाणा के किसानों की उदासीननता उनकी स्वभाविक प्रवृत्ति के अनुरूप है। विद्रोही ने कहा कि एसवाईएल नहर निर्माण व रावी-ब्यास का पानी की विगत 50 सालों से दक्षिणी हरियाणा बाट जो रहा है। पर आज जो नेता एसवाईएल का राग अलाप रहे है, वे वास्तव में सरकार के इशारे पर किसान आंदोलन में कैसे फूट पड़े, इस मंशा से बै-मौसम की बरसात की तरह सरकारी भक्ति दिखाने खातिर बेसुरा राग अलाप रहे है। 

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