सरकार हठधर्मिता छोड़ किसानों की समस्याओं का स्थायी समाधान करें : यूनियन. कृषि कानूनों से किसान बरबादी के कगार पर चण्डीगढ, 4 दिसम्बर! कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आन्दोलन के समर्थन में प्रदेश के डिपूओं में रोड़वेज कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया व जमकर नारेबाजी की। हरियाणा रोड़वेज वर्कर्स यूनियन सम्बन्धित सर्व कर्मचारी संघ राज्य कमेटी के आह्वान पर केन्द्र व राज्य सरकार के दमन चक्र के खिलाफ व किसान आन्दोलन के समर्थन में कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर रोड़वेज कर्मचारियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष इन्द्र सिंह बधाना, महासचिव सरबत सिंह पूनिया, वरिष्ठ उप प्रधान नरेन्द्र दिनोद, उप महासचिव नवीन राणा, कार्यालय सचिव जयकुमार दहिया व प्रेस प्रवक्ता श्रवण कुमार जांगड़ा ने सयुंक्त ब्यान में कहा तीन कृषि कानूनों से देश का सबसे बड़ा कृषि उधोग व किसान बरबाद हो जाएंगे। उन्होंने कहा किसानों की सहमति के बिना जबर्दस्ती बनाये गए कृषि कानूनों से केवल किसान ही नहीं बल्कि देश की जनता व कृषि पर निर्भर पुरे समाज पर दुष्प्रभाव पड़ेगें। उन्होंने कहा 10 दिन से देश भर के लाखों किसान दिल्ली की सड़कों पर कृषि कानूनों के विरोध में अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं, परन्तु केन्द्र व राज्य सरकार हठधर्मिता अपनाते हुए किसानों पर दमन चक्र चलाकर किसानों के खिलाफ बड़े धन्नासेठो के हको की पैरवी कर रही हैं। कर्मचारी नेताओं ने कहा किसानों की नये कृषि कानूनों की मांग नही तो किसानों की सहमति के बिना जबरदस्ती किसान विरोधी कानून क्यों बनाएं गए ? उन्होंने कहा पहले से घाटे में चल रही खेती व किसानों को तीन कृषि कानून बर्बाद कर देंगे। उन्होंने सरकार से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने, एम एस पी की गारंटी कानून बनाने, आन्दोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे रद्द करने, मोटर व्हीकल एक्ट व बिजली कानुन वापस लेने व पैट्रोल व डीजल के दामों में कटौती करने की मांग की। कर्मचारी नेताओं ने कहा सरकार हठधर्मिता छोड़ कर किसानों की समस्याओं का बातचीत से स्थाई समाधान करें। उन्होंने जोर देकर कहा अगर बातचीत से किसानों की मांगों का समाधान नहीं किया तो हरियाणा रोड़वेज व प्रदेश के सभी कर्मचारी किसानों के निर्णायक आन्दोलन में सीधे शामिल हो जाएंगे। उन्होंने कहा रोड़वेज कर्मचारियों ने किसान आन्दोलन में राशन व दवाओं के अलावा आर्थिक सहयोग करने का निर्णय लिया है। Post navigation भाजपा बचा पाएगी अपनी साख निकाय चुनावों में? मैं स्वयं धरनास्थल पर जाकर किसान संगठनों के नेताओं से मिलूंगा: अभय सिंह चौटाला