कमलेश भारतीय

किसान दिल्ली कूच के लिए निकला तो सरकार परेशान हो गयी पर मस्त इसलिए कि किसानों के बारे में सोचने को तैयार नहीं । आखिर न्यौता किस बात का दे रहे हो, यदि कानूनों को क्रांतिकारी बता रहे हो ? इतने क्रांतिकारी कानून हैं तो फिर किसानों में दिल्ली पहुंचने की होड़ क्यों लगी है ? बार्डर सील क्यों किए जा रहे और दिल्ली पहुंचने से रोका क्यों क्या? क्या किसान को , कर्मचारी को , आम आदमी को विरोध की इजाजत भी नहीं ? हर राज्य के किसान आ रहे हैं और हमारे विज महोदय कह रहे हैं कि यह सब कैप्टन अमरेंद्र सिंह का किया धरा है । कितनी छोटी सोच है हमारे दाढ़ी वाले बाबा की । आखिर कभी तो कुछ बडा सोचो । कुछ अपनो सोच का दायरा बड़ा करो ।

जैसी फोटोज और लाइव कवरेज देखने को मिल रही है , उसने ऐसा लगता है जैसे कुछ आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के प्रयास किये जा रहे हैं । किसान अन्नदाता है , आतंकवादी नहीं । किसान अगर अपने काम से हट जाये तो कहां से अनाज मिलेगा? कोरोना जैसी महामारी में भी इसी किसान की मेहनत रंग लाई जब खाने की आपूर्ति आम लोगों तक जारी रही । किसान पर लाठीचार्ज , अश्रु गैस और गिरफ्तारियों का डर किसलिए ? अपनी बात कहने से या केंद्र तक पहुंचाने से क्यों रोका जा रहा है ? कांग्रेस ने बाबा रामदेव को और अन्ना हजारे को रोकने को कोशिश की और बदले में क्या पाया ? सत्याग्रहियों को अंग्रेज सरकार नहीं रोक पाई फिर हमारे ही शासक कैसे रोक पायेंगे ? दूसरा इस तरह रोकने से जनजीवन को खुद ही ठप्पा करके रख दिया । इसकी जिम्मेवारी किस पर ? हर शह, परेशान सा क्यों कर दिया ? अपनी बात,रखने का हक तो रहने दीजिए । तभी तो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलायेगा ।
थोड़ा सा भरम तो रहने दो
ऐ जाने वफा ये जुल्म न कर,,,

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