स्कूल संचालकों की नीति व नीयत में फर्कः योगेश शर्मा

स्कूल संचालक छीन रहे हजारों लोगों का रोजगार।
स्कूलों की स्पेशल ऑडिट करवाई जाएं।

गुड़गांव 19 नवंबर 2020 गुरूग्राम स्कूल बेरोजगार संघ के अध्यक्ष योगेश शर्मा ने कहा कि मीडिा को जारी ब्यान में कहा कि स्कूल संचालकों की नीति व नीयत में फर्क नजर आ रहा है। अभिभावकों से पूरी फीस वसूल कर रहे है। लेकिन अध्यापकों को पूरा वेतन नही दे रहे है। बेचारा अध्यापक किसी को कह भी नही पा रहा है।

योगेश शर्मा ने कहा कि आज कोरोना काल में सबसे ज्यादा प्रताडि़त अगर कोई है तो वह केवल अध्यापक ही है। स्कूल संचालकों ने कोरोना की आड़ में हजारों लाखों कर्मचारियों का शोषण किया है। स्कूल संचालकों, निर्देशकों व प्रधानाचार्यो ने कोरे कागज पर गरीब लोगेां से साईन करा कर उनको नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। उनकों केवल यह आश्वासन दिया गया कि सरकार स्कूल नही खोल रही है। हम क्या करे। लेकिन ये सक्ूल फीस पूरी वसूल रहे है। लेकिन अध्यापकों को नाममात्र का पैसा दे रहे है।

योगेश शर्मा ने कहा कि इसके विपरीत कुछ अच्छे स्कूल मानवता के नाते आज भी अपने कर्मचारियों को कुछ ना कुछ पैसा अवश्य दे रहे है। उन स्कूलों की जितनी प्रशंसा की जाएं उतनी थोड़ी है। उनको देखकर लगता है कि रामराज्य है। लेकिन उन संचालकों का क्या करे जों करोड़ों अरबों रूपयों की अथाह संपत्ति जमा करके कोरोना काल में भी कई कई नये स्कूल बनाने की तैयारी कर रहे है। कई स्कूल संचालकों ने तो कई जगह जमीन भी खरीद ली है और उन्होने स्कूल बनाने भी शुरू कर दिए है। लेकिन अपने ड्राईवरों, परिचालकों, सुरक्षाकर्मियों व आया के लिए उनके पास तन्ख्वाह देने तक के पैसे नही है। जिन्होने अपनी सारी उम्र इन संचालकों की सेवा में लगा दी है। आज उनकी आवाज उठाने वाला कोई नही है। क्योकि स्कूल अधिकतर नेताओं के है। जो किसी ना किसी पार्टी में अपना वर्चस्व रखते है। जिनका कहना है कि बड़े से बड़ा अधिकारी को अपनी मुटठी में रखते है।

कुछ स्कूल संचालकों ने तों बहुत दरियादिली दिखाई है, उन्होने अपनी बसें बच्चों के लिए चला दी है। बच्चें उन बसों में आ जा रहे है। आज गुरूग्राम का एक एक व्यक्ति उन बसों को देख रहा है और कंठ मुख से उन स्कूल संचालकों की प्रशंसा कर रहा है। स्कूल बेरोजगार संघ के अध्यक्ष योगेश शर्मा ने उच्च स्तर पर मांग की है कि हजारों लाखों करोड़ों रूपये का घोटाला स्कूल संचालकों दवारा किया जा रहा है। कोरोना की आड़ में कर्मचारियों को बेरोजगार किया जा रह है। उन लोगों के घरों में परिवार को खाना भी ठीक ढ़ंग से नही हो पा रहा है। कुछ लोगों का तो मनोबल इतना टूट चुका है कि वह किसी प्लेटफार्म पर आने के लिए तैयार नही है। क्योंकि प्लेटफार्म पर आने का मतलब है कि अगले स्कूल में भी उसको रोजगार नही मिलेगा। इसी डर से हजारों लाखों देश के युवा अपने भविष्य से खिलवाड़ करते हुए अपने घरों में दुबके बैठे है। अनेक प्रदेशों के कर्मचारी अपने प्रदेशों में आ चुके है, लेकिन उन्हे आज भी स्कूल खुलने का इंतजार है। लेकिन पिछले आठ महीने से उन्हे केवल आश्वासन मिल रहा है।

जिला उपायुक्त महोदय, इनकम टैक्स आयुक्त, जीएसटी आयुक्त, लेबर डिपार्टमैंट आयुक्त, शिक्षा निदेशक चेयरमैन सीबीएसई व चेयरमैन हरियाणा विदयालय शिक्षा बोर्ड इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ऐसे स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई करे। योगेश शर्मा ने मांग करी कि ऐसे स्कूलों की स्पेशल ऑडिट करवाई जाएं व उन स्कूलों की मान्यता रद्द की जाएं।

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