इकोग्रीन कंपनी को सर्वसम्मिति से हटाने का किया प्रस्ताव पास

18 नवंबर, 20220. – नगर निगम की सदन की बैठक में वार्ड-34 के निगम पार्षद आरएस राठी ने एजेंडे के कई मुख्य बिंदुओं पर अधिकारियों को घेरा। सर्वप्रथम राठी ने सवाल-जवाब के सेशन में इकोग्रीन कंपनी का मुद्दा उठाया जिसमें पूछा गया कि करार के हिसाब से समय-सीमा के भीतर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट न लगाने पर कंपनी से कितना जुर्माना लगाया और वसूला गया। अधिकारी इस पर पूरी तरह मौन रहे। राठी के सवाल उठने पर पार्षदों ने समर्थन करते हुए कंपनी को हटाने का प्रस्ताव पास कराया।

राठी ने कहा कि करार में स्पष्ट लिखा है कि यदि कंपनी 2 साल के भीतर प्लांट नहीं लगाती तो निगम की तरफ से बिना किसी जुर्माना के एक वर्ष की समय-अवधि और बढ़ाई जा सकती है लेकिन उसके बाद कंपनी पर जुर्माना लगेगा लेकिन अब कंपनी को 3 साल से अधिक का समय बीत चुका है बावजूद इसके कोई जुर्माना नहीं लगाया। राठी ने कहा कि अधिकारी कंपनी के खिलाफ कोई अनुशानत्मक कार्रवाई नहीं कर रहे। 20 अक्टूबर को उनके द्वारा पत्र लिखने के बाद 11 नवंबर को नगर निगम ने इस संबंध में निदेशक कार्यालय को लिखा है। उन्होंने निगम अधिकारियों से सवाल किया कि यदि कंपनी प्लांट नहीं लगा सकी तो  कंपनी को दिए गए 200 करोड़ रुपये की रिकवरी कैसे होगी। अधिकारी मौन रह और कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद इस मुद्दे पर अन्य पार्षदों ने भी हंगामा करना शुरू कर दिया और कंपनी को हटाने के खिलाफ बैठक में सर्वसम्मिति से प्रस्ताव पास किया गया। वहीं इसी कंपनी को 25 करोड़ रुपये की राशि नगर निगम से एडवांस देने के प्रस्ताव को भी रद्द कराया गया।

बिल्डर से 16 करोड़ के घाटे से अदला-बदली की जमीन

रेवेन्यू रास्ते की जमीन को अदला-बदली का खेल नगर निगम में नहीं रूक रहा। इस सदन की बैठक में भी चौमा गांव की लगभग 4144 वर्ग गज जमीन को उसी गांव में कलेक्टर रेट पर जमीन दे दी जबकि निगम वाली जमीन में बिल्डर ने प्रोजेक्ट विकसित हुआ है जिसकी मार्केट के हिसाब से निगम को 16 करोड़ रुपये से भी अधिक का नुकसान उठाना पड़ेगा। राठी के विरोध करने के बाद बिना चर्चा किए सदन ने जमीन को बदलने का प्रस्ताव पास कर दिया। 

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