17 नवम्बर 2020 – देश के सुप्रसिद्घ स्वतंत्रता सेनानी व राष्टï्र नायक लाला लाजपत राय की 92वें बलिदान दिवस पर हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने माल्यार्पण करके उन्हे भावभीनी श्रद्घाजंली दी। विद्रोही ने कहा कि भारतीय आजादी आंदोलन के इतिहास में लाला लाजपत राय का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। देश के लिए किया गया उनका बलिदान व योगदान कोई भी भारतवासी कभी भी नही भूला सकता। जिस तरह आजादी आंदोलन के समय लाला लाजपत राय ने अंग्रेजों से लोहा लिया व युवा शक्ति को आजादी की लड़ाई लडऩे की प्रेरणा दी, वह हमारे लिए आज भी गौरव की बात है। रोलट एक्ट के खिलाफ लाहौर में प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों का नेतृत्व करते समय जिस बर्बरता के साथ अंग्रेजी हकूमत ने उन पर व आजादी आंदोलन के दिवानों पर लाठिया बरसाई थी, उससे लालाजी के सिर पर गहरी चोटे लगी थी। उन्ही लाठियों की चोट से 17 नवम्बर 1928 को लालाजी ने देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दे दिया। लाठियों से बुरी तरह घायल लाला लाजपत राय ने उस समय कहा था कि उनके सिर पर पड़ी एक-एक लाठी अंग्रेजों के लिए किल के कफन का काम करेगी, लालाजी की वह भविष्यवाणी बाद में सही साबित हुई। विद्रोही ने कहा कि उनके बलिदान से उस समय के पंजाब सहित पूरे देश में युवा शक्ति के मन में अंग्रेजों के खिलाफ जो आक्रोश की भावना उत्पन्न हुई थी, उस भावना ने ही 15 अगस्त 1947 को देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण काम किया। विद्रोही ने कहा कि लालाजी का जीवन चरित्र आज भी हमें देश के लिए सबकुछ बलिदान करने की प्रेरणा देता है। उनकी जयंती पर आज हमे उनके दिखाये गए रास्ते पर चलने की प्रेरणा लेते हुए जीवनभर अन्याय, शोषण, गैरबराबरी, साम्प्रदायिकता, जातिवाद, क्षेत्रवाद, आतंकवाद व भ्रष्टïाचार के खिलाफ दृढ़ता के साथ लडऩे का सकंल्प लेते हुए उन्हे श्रद्घासुमन अर्पित करने चाहिए। विद्रोही ने बताया कि आज प्रदेशभर में विभिन्न स्थानों पर कांग्रेसजनों ने आजादी आंदोलन के इस महान स्वतंत्रता सेनानी को श्रद्घाजंली देकर श्रद्घापूर्वक याद किया। इस अवसर पर कपिल यादव, अमन कुमार, अजय, प्रदीप, कुमारी वर्षा ने भी अपने श्रद्घासुमन अर्पित किए। Post navigation खुशी और गम के बीच चाचा कहां हुए गुम ! राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस….मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ लेकिन मीडिया के कितने स्तंभ !