-उपायुक्त कार्यालय ने उचित उपयोग प्रमाण पत्र देने को कहा* *-बार एसोसिएशन चुनावी विवाद में लगे थे अनुचित रुप से खर्च करने के आरोप*

नारनौलः*(रामचंद्र सैनी)।जिला बार एसोसिएशन के चुनाव अधिकारी द्वारा कार्यकारिणी के कार्यकाल को बढ़ाने से उपजे विवाद के बीच एक नया पेंच आ गया है। उपायुक्त कार्यालय ने जिला बार एसोसिएशन को पत्र लिख कर तत्कालीन डिप्टी स्पीकर संतोष यादव द्वारा दी गई 11 लाख रुपए तथा सामाजिक अधिकारिता राज्यमंत्री औम प्रकाश यादव द्वारा दी गई 21 लाख रुपए की अनुदान राशि को खर्च किए जाने के बारे उपयोगिता प्रमाण पत्र की मांग कर दी है। 26 अक्तूबर को प्रेषित पत्र में बार एसोसिएशन को 2 दिन में उचित उपयोग प्रमाण पत्र देने बारे निर्देशित किया है।

उक्त पत्र के अनुसार तत्कालीन डिप्टी स्पीकर संतोष यादव द्वारा दी गई 11 लाख रुपए की अनुदान राशि जनसाधारण के उपयोग के लिए पुस्तकालय की पुस्तकें खरीद किए जाने के लिए दी गई थी तथा राज्यमंत्री औम प्रकाश यादव द्वारा दी गई 21 लाख रुपए की अनुदान राशि पुस्तकालय के लिए पुस्तकें एवं फर्नीचर की खरीद के लिए दी गई थी। पत्र के अनुसार उक्त राशिया किस मद/उद्देश्य के लिए खर्च की गई हैं, उसकी डिटेल तथा उचित उपयोग प्रमाण पत्र उपायुक्त कार्यालय को बार एसोसिएशन द्वारा प्राप्त नहीं हुए हैं। 

गौरतलब है कि प्रधान पद प्रत्याशि यशवंत यादव एडवोकेट ने आरोप लगाया था कि चुनाव अधिकारी औम प्रकाश यादव एडवोकेट ने चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ हो जाने के बाद तथा लॉकडाउन की अवधि में ही 21 लाख रुपए की राशि को अनुचित अनुचित रूप से खर्च करने पर पर्दा डालने के लिए कार्यकारिणी का कार्यकाल गलत तरीके से बढ़ाया है। इस आरोप के बाद चुनाव अधिकारी, पूर्व प्रधान महेन्द्र यादव व अशोक यादव सहित अन्य अधिवक्ताओं ने पत्रकारवार्ता की थी। जिसमें उन्होंने उक्त आरोपों को गलत ठहराया था तथा अशोक यादव एडवोकेट द्वारा मानहानि का मुकदमा करने तथा हिसाब देने की बात कही थी। उसके बाद प्रधान पद प्रत्याशी यशवंत यादव एडवोकेट व राजपाल लाम्बा एडवोकेट ने भी पत्रकारवार्ता करके, उक्त आरोपों को सही ठहराया था। पूर्व डिप्टी स्पीकर द्वारा दी गई 11 लाख की अनुदान राशि का चैक महेन्द्र यादव एडवोकेट के कार्यकाल में प्राप्त हुआ था तथा राज्यमंत्री द्वारा दी गई 21 लाख की अनुदान राशि का चैक अशोक यादव एडवोकेट के कार्यकाल में प्राप्त हुआ है।

उपायुक्त कार्यालय के एक कर्मचारी ने नाम छापने की शर्त पर बताया कि सरकार द्वारा दी गई अनुदान राशि को खर्च किए जाने के संबंध में दिए जाने वाले उचित उपयोगिता प्रमाण पत्र की मांग की गई है, चूंकि यह अधिवक्ताओं की संस्था से जुड़ा हुआ मामला है, इसलिए किसी अधिकारी ने आज तक उनसे उचित उपयोगिता प्रमाण पत्र की मांग नहीं की थी।

 मंत्रियों द्वारा दी जाने वाली अनुदान राशि को खर्च किए जाने बारे सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं। उसके अनुसार निष्पादित अधिकारी जो संबंधित उपमण्डल के एसडीएम होते हैं, को कार्यालयी पत्र नम्बर 1672-बीएपी-1(3)-2012/4755 दिनांक 11-10-2012 के अनुसार कार्य हो जाने के बाद, उस कार्य के लिए जारी किए जाने वाले बिल की पेमेंट की जानी होती है। संबंधित निष्पादित अधिकारी को अनुदान राशि को प्राप्त करने वाली संस्था के परिसर में जाकर उस ग्रांट को खर्च किए जाने की वास्तविक स्थिति को जानने तथा उसे भौतिक रूप से सत्यापित करने का अधिकार है। उक्त दोनों अनुदान राशियों में निष्पादन एजेंसी उपमण्डल अधिकारी नागरिक नारनौल थे।

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