कमलेश भारतीय

वैसे तो यह हक किसी टीवी चैन का है जिसकी टैग लाइन ही यही कि पूछता है भारत लेकिन कुछ दिन से ऐसा बड़ी ठसक के साथ पूछने वाले पत्रकार अर्णब गोस्वामी तो खुद मुम्बई पुलिस से पूछ रहे हैं कि ऐसा व्यवहार मेरे साथ क्यों किया गया?

अब देखिए जस्टिस फार सुशांत चलाते चलाते जस्टिस फार अर्णब में कैसे बदल दिया मुम्बई पुलिस ने । यही चालाकी है । पूछो । अब सीधे हमारे सामने बैठे हो । है कुछ पूछने की हिम्मत? करो सवाल । पूछो न । खामोश क्यों हो गये अर्णब ?

सुशांत के न्याय के लिए पता नहीं कहां कहां से ज़मीन आसमान के कुलाबे और खुलासे करते रहे । चाबी वाले से लेकर ड्रग पेडलर तक । रिया चक्रवर्ती से लेकर दीपिका पादुकोण तक । सारा अली से लेकर रकुल प्रीत तक । सब खोल खोल कर दिखाया और पूछा । पर कुछ हाथ न लगा बल्कि जो न्याय होने की उम्मीद थी वह भी जाती रही । केस बैकग्राउंड में चला गया और ड्रग की की खुदाई पूरे मुम्बई में होने लगी । कंगना रानौत के धांसू डायलाॅग भी खत्म हो चुके । दक्षिण में जाकर शूटिंग में व्यस्त हो गयी । ऑफिस अलग टूटा । हां , अभी उद्धव ठाकरे का अहंकार टूटना बाकी है । यह जानना बच कि नाॅटी और हरामखोर में क्या फर्क है ?

ऐसे ही हाथरस में बाल्मीकि युवती मनीषा के केस का क्या हुआ ? रेप करने वाले जेल से चिट्ठियां लिख कर न्याय मांगने लगे । उल्टा आरोप बाल्मीकि युवती के परिवार पर थोपना शुरू कर दिया । एमडी ने सही कहा था कि दो दिन में मीडिया वाले चले जायेंगे, फिर आपने और हमने ही रहना है । अब हाथरस केस कहां पहुंचा है ? कोई नहीं जानता । राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ क्या और कैसा दुर्व्यवहार नहीं हुआ ? पर केस तो अंगद के पांव की तरह वहीं का वहीं है । हिला तक नहीं । कितने ऐसे चर्चित मामले हैं जो ऐसा लगता है की पूछता है भारत कर कर के हम मीडिया वाले खत्म कर ही लेंगे लेकिन कौन पूछता रहे ? नया दिन । नया केस और रिपोर्टर नये शहर में । पूछता रह जाता है भारत कि क्या हुआ ?

error: Content is protected !!