बकौल तरविंदर सैनी ( माईकल ) लोसुपा किसानों के ईस वाजिब विरोध के मध्य जो भी पार्टी या नेता कृषि कानूनों को सही बताने पहुंचेगा वह उनकी नजरों में खलनायक ही साबित होगा

प्रमुख सहयोगी दल होने के बावजूद अपनी अनुपयोगिता दर्शा रहे हैं उपमुख्यमंत्री जी  जब्कि चुनाव पूर्व दोनों दलों के साँझा कार्यक्रम बगैर शर्तों के तय हुए थे साथ मिलकर रणनीतिक प्रसार प्रचार करने की बातें कि जा रही थी दोनों दलों के नेताओं की ओर से , एक के बाद एक दौरे किए जा रहे थे.  परन्तु जैसे ही योगेश्वर दत्त पहलवान को भाजपा की टिकेट पर मैदान में उतारा गया तभी से उनके बयानों पर भी पूर्णविराम सा लग गया तथा दौरा एक भी नहीं हुआ – उनकी गैरहाजिरी जो कुछ और ही संकेत कर रही है , बरोदा हल्के से निरंतर दूरी बनाए रखना उनके समर्थकों को किस ओर जाने का इशारा है  राजनीतिक पंडित इसका अनुमान लगाने में लगे हैं  क्योंकि अब कुछ ही समय शेष रहा हैं प्रचार में लेकिन अभी तक अपनी तथा अपने दल की भूमिका स्पस्ट नहीं कर पाए हैं दुष्यंत चौटाला जी !

अब इसे उनकी रणनीति कहें या कुछ और कि सहयोगी सत्ता के तो बने रहेंगे मगर रणक्षेत्र से दूरी रखेंगे ! 

उनका सोम-मंगल दो दिवसीय दौरा हिसार में होना तो कम-स-कम यही संकेत करता है कि वह अपने कार्यकर्ताओं को सरकार से एक निश्चित दूरी पर ही रहने की कहना चाहते हैं – या फिर उन्हें भय है कि जिस प्रकार कृषि कानूनों का विरोध चल रहा है पूरे प्रदेश में उससे उनके वहां जाने से कहीं  किरकिरी न कर दें किसान – या फिर वह मूक समर्थन दे रहे हैं इंदुराज (भालू ) को ।

लेकिन शाम दाम दंड भेद की परंपरागत नीतियों को अपनाने में माहिर भाजपा को भी हल्के में नहीं आंका जा सकता – हर मुद्दे पर भावनात्मक जुड़ाव कर उसे भुनाने में निपुण भाजपा ने अब एक नया पैंतरा चला है खेल खिलाड़ियों को सम्मान की बात पर !

खिलाड़ी को देश की धरोहर बता चुनाव में उन्हें ही वोट करने की बातें कर रही हैं , प्रपंच रच रही है , अपने आप को खिलाड़ियों का सबसे बड़ा हितैषी बता रही है !बेशक़ उसे यह भी समझ है कि जनता को यह मालूम है कि योगेश्वर दत्त को नोकरी से किसने हटाया तथा पिछले ही माह एक खिलाड़ी मनोज की हत्त्या कर दी गई भिवानी समेत कई जगह उसको न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन किए जा रहे हैं – खिलाड़ियों की ही बात है तो एक खिलाड़ी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही है जिसकी सुध सरकार ने नहीं ली और संघीय परिवर्तन करने के नाम पर पाँच सौ से अधिक खिलाड़ियों की नोकरियाँ छीनने वाली भी भाजपा ही है  मगर फिर भी राजनीतिक जमा घटा तो लगाने ही पड़ते हैं 

चुनावी घोषणाएं हिस्सा होती हैं राजनीति का जिसमे परांगत है भाजपा – अविश्वसनीय वादे कर भी है मगर उनकी परेशानियों में इजाफा करते हुए योगेश्वर दत्त ने आरक्षण पर ट्वीट कर दिया – जिससे आहत तो हुई पार्टी मगर अब जज्बाती रूप ले चुकी है  क्योंकी योगेश्वर के लिए योग करने में पिछड़ती जा रही पार्टी क़ई मोर्चो पर लड़ रही है – साझीदार की नकारात्मकता और संगठन विस्तार नहीं होने से असहमति और अंतर्कलह के स्वरों के बीच नई मोर्चेबंदी से भी परेशानी का शबब बनी हुई हैं !ईधर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ जी अपने बयानों में कहते हैं कि हमारे 40लाख कार्यकर्ता हैं , बड़ी जीत का दावा करते हैं मगर यह नहीं बता पा रहे हैं कि कार्यकर्ताओं की इतनी बड़ी फ़ौज होने के बावजूद वह किसानों को कृषि कानूनों के फायदे क्यों नहीं समझा पा रहे हैं – उन्हें अपनी पार्टी के पक्ष में वोट कराने में असफल क्यों हो रहे हैं ?

किसानों के प्रदेशव्यापी प्रदर्शन चल रहे  पुतले फूंके जा रहे हैं सरकार के , ट्रैक्टर जल रहे हैं , रेल रोकी जा रही हैं मगर सरकार उनकी मांगों पर गौर करने की बजाय उनपर  लाठियाँ बरसा रही है ,अश्रुगैस के गोले छोड़ रही हैं उनपर गोलियां चलाई जा रही है क्यों ?

सरकार के आकाओं को यह मालूम हो जाना चाहिए कि यह उपचुनाव हुड्डा या खट्टर साहब के बीच का नहीं बल्कि कृषि कानूनों और किसानों के बीच में है !बकौल तरविंदर सैनी ( माईकल ) लोसुपा किसानों के ईस वाजिब विरोध के मध्य जो भी पार्टी या नेता कृषि कानूनों को सही बताने पहुंचेगा वह उनकी नजरों में खलनायक ही साबित होगा और शायद यही प्रमुख कारण भी है भाजपा के सहयोगी दल जजपा नेता दुष्यंत चौटाला जी का ईस उपचुनाव से दूरी बनाए रखना जो भाजपा के लिए खतरे की घँटी से कम नहीं ।

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