मां चामुंडा मंदिर विवाद में याचिकाकर्ता ने भंग ट्रस्ट के प्रधान को दी क्लीन चिट, बौहरा आज भी अनभिज्ञ

ट्रस्ट के सचिव के बेटे ने की मंदिर के नाम पर लाखों की चांदी एकत्रित, जल्द की शहर के लोगों की पंचायत बुलाई जाएगी

नारनौल, (रामचंद्र सैनी): मां चामुंडा मंदिर विवाद मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर नारनौल के नायब तहसीलदार रतनलाल बतौर रिसीवर मंदिर का चार्ज ले चुके हैं। इतना ही नहीं नायब तहसीलदार द्वारा हाईकोर्ट जाने वाले पूर्व ट्रस्टी नरेंद्र उर्फ टीटू सोनी पर विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करवाया जा चुका है। वहीं याचिकाकर्ता नरेंद्र सोनी ने नायब तहसीलदार रतनलाल पर प्रभावशाली लोगों के दबाव में काम करने का आरोप भी लगाया है। सोनी ने इस मामले में नया खुलासा करते हुए इस सारे मामले में भंग ट्रस्ट प्रधान सूरज बौहरा को क्लीन चिट देते हुए पूर्व सचिव के बेटे और परिवार पर ही लाखों रुपये की चांदी एकत्रित करने का आरोप लगाया है। नरेंद्र सोनी ने कहा है कि सूरज बौहरा ने नाम के प्रधान के रूप में काम किया है। चांदी एकत्रित करने वालों ने पहले भी उन्हें अनभिज्ञ रखा और आज भी वो इसकी पूरी सच्चाई से अनभिज्ञ है।

मंदिर ट्रस्ट को अदालत से भंग करवाने वाले ट्रस्टी नरेंद्र सोनी ने कहा है कि नायब तहसीलदार ने उन पर झूठा मुकदमा दर्ज करवाकर दबाव बनाने का प्रयास किया है। वे फिलहाल उस केस की कानूनी प्रक्रिया में लगे हुए हैं। इसके बाद शीघ्र ही शहर के गणमान्य लोगों की एक महापंचायत बुलाकर उसमें खुलासा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में उसने सचिव के बेटे की सबसे पहले 6 किलो चांदी की हेराफेरी पकड़ी थी। हेराफेरी पकड़ी जाने पर इस परिवार के प्रभाव के चलते ट्रस्ट के किसी भी पदाधिकारी और सदस्यों ने कोई कार्रवाई नहीं की तो उसने उसी दिन से मंदिर परिसर और ट्रस्ट की बैठक में ना जाने की ठान ली थी। सोनी ने बताया कि उसी दिन उसने मंदिर में यह भी कसम उठाई थी कि वह अदालत के माध्यम से इस ट्रस्ट के खिलाफ कार्रवाई करेगा। अदालत का निर्णय आने के बाद ही मंदिर में प्रवेश करेगा।

सोनी ने बताया कि 2014 से वह मंदिर के मुख्य द्वार से ही वह मां चामुंडा को नमन करके आता रहा है। उसने यह भी बताया कि इस दौरान ट्रस्ट के प्रधान सूरज बौहरा ने उसे समझाने का प्रयास किया था कि ऐसी कठोर कसम नहीं उठाते है। वह मंदिर के अंदर आकर माता के दर्शन किया करेें और ट्रस्ट की बैठकों में भी भाग ले, लेकिन वह अपनी कसम पर अडिग रहा।

इस मामले में भंग ट्रस्ट के प्रधान सूरज बौहरा से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि अदालत के फैसले के बाद से उन्होंने अदालत के फैसले का सम्मान किया है। मामला मीडिया की सुर्खिया बनने के बाद भी वे इसलिए चुप रहे कि सांच को आंच नहीं है, जो खुद याचिकाकर्ता भी शुरू से ही कह रहा है। बौहरा ने कहा कि वे इतना जरूर कहेंगे कि मंदिर के पुजारी जो कह रहे कि उनकी कई पीढिय़ा मां चामुंडा मंदिर में पुजारी का काम करती रही है वो सरासर गलत है। उन्होंने बताया कि सन 1985 तक नाते में उनके ताऊ लगने वाले रामकिशन शाखटन मां चामुंडा मंदिर में पुजारी थे। उनके देहांत के बाद रूपचंद शर्मा को मंदिर का पुजारी नियुक्त किया गया था। रूपचंद वर्तमान में भंग ट्रस्ट के पुजारी सत्यनारायण शर्मा के पिता थे। वर्तमान पुजारी के परिवार के लोगों द्वारा पांच पीढिय़ों से पीढ़ी दर पीढ़ी पुजारी वाली सरासर झूठ है।

मंदिर के बारे में सूरज बौहरा ने एक और अहम जानकारी देते हुए बताया कि 1985 से पहले इस मंदिर के आसपास तथा मंदिर का वर्तमान में जो मुख्य गेट वहां एक होटल स्थित हुआ करता था। जिनमें मांस, मच्छी व अंडों का प्रयोग होता था। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के विरोध के चलते तत्कालीन डीसी एससी चौधरी ने इस गली को शुद्ध गली घोषित किया था। इसके बावजूद भी एक होटल पर अंडों का काम बदस्तूर जारी था। जिसके चलते उस समय प्रेमचंद सैनी उर्फ पे्रमा, अशोक बौहरा व वैद्य किशन वशिष्ठ के नेतृत्व में शहर के युवाओं की टीम ने इस होटल को ही तोड़कर मंदिर में शामिल कर दिया। मामला  तत्कालीन डीसी एससी चौधरी, एसपी सतेंद्र बिश्नोई के पास पहुंचने पर शहर के कुछ गणमान्य लोगों की उपस्थिति में चंदा उगाहकर होटल मालिक को मुआवजा देकर विधिवत रूप से इसे मंदिर में शामिल कर लिया गया था।

सूरज बौहरा ने बताया कि 1985 में मंदिर के पुजारी बनाये गए रूपचंद की 2009 में मृत्यु होने पर उनके बेटे सत्यनारायण शर्मा को कुछ शर्तों के साथ मंदिर का पुजारी बनाया गया, जिसमें मदिरा का सेवन ना करना मुख्य था। उन्होंने बताया कि इसके बाद 2011 में नया ट्रस्ट गठित करके उन्हें प्रधान की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिसका उन्होंने ईमानदारी व निष्ठा से निर्वहन किया है।

न्होंने कहा कि 9 सालों में उन्होंने मंदिर का जो जीर्णाेद्वार किया है वह शहर की जनता के सामने हैं। चांदी मामला उनके संज्ञान में आने पर उन्होंने उस पर तुंरत एक्शन लिया था और निर्देश जारी किए थे कि मंदिर के नाम पर कोई चांदी एकत्रित नहीं करेगा। जिस भी श्रद्धालु को चांदी दान देनी है वो मंदिर में देकर उसकी रसीद प्राप्त कर लेगा।

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