भारत सारथी/ऋषि प्रकाष कौशिक

गुरुग्राम नगर निगम वैसे तो अपने कार्यों के लिए कभी जनता का विश्वास जीत नहीं पाया है परंतु इन्तहां हो रही है। पिछली नगर निगम की सामान्य बैठक सुखराली में हुई थी। उसमें पार्षद आरएस राठी ने प्रश्न उठाए थे कि निगम जनता के पैसे का नुकसान कर रहा है। जो जमीन निगम ट्रांसफर कर रहा है, उसमें जनता के 80 करोड़ का नुकसान है।

इसी प्रकार पार्षद अश्वनी शर्मा ने सवाल उठाए थे कि निगम के कर्मचारी जनता के साथ लूट मचाए हुए हैं। एक ओर तो जनता के बने बनाए मकान ढ़ा रहे हैं और दूसरी ओर बनते मकान से प्रति लैंटर एक लाख रूपए निगम कर्मचारी ले आते हैं और उसे बनाने की छूट दे देते हैं।

राव इंद्रजीत देंगे ध्यान:

गुरुग्राम नगर निगम की मेयर टीम बनाने में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का नाम है। राव इंद्रजीत सिंह और मुख्यमंत्री मनोहर लाल का 36 का आंकड़ा सर्वविदित है और उस समय राव इंद्रजीत ने डंके चोट पर चैलेंज कर अपनी मर्जी की मेयर टीम बनाई थी। अत: अब जब निगम सही काम नहीं कर रहा, जनता पार्षदों पर सवाल उठा रही है और पार्षद मेयर टीम पर सवाल उठा रहे हैं तथा मेयर टीम किसी को जवाबदेह नहीं है। ऐसे में आने वाले समय में क्या जो पूर्व चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह को जनसमर्थन मिला था, वह मिल पाएगा इसमें संदेह है।

गौरतलब है कि कुछ समय पहले पार्षद मेयर टीम से नाराज हुए थे और अविश्वास प्रस्ताव की मांग कर दी थी। उस समय राव इंद्रजीत सिंह ने पार्षदों को संतुष्ट करके समय लिया था लेकिन इतना समय बीतने के बाद पार्षदों का संयम अब डोलने लगा है। सूत्रों के अनुसार पार्षद फिर पूरी तैयारी कर अविश्वास प्रस्ताव लाने के प्रयास में लगे हैं।

पार्षदों की सबसे बड़ी शिकायत तो यह है कि निगम में एक वित्त एवं संविदा कमेटी होती है, जो आज तक नहीं बनी है। पार्षद कहते हैं कि उस कमेटी को वित्त संबंधी विधेयक पास करने होते हैं और मेयर टीम आज तक वह कमेटी नहीं बना रही। अब बिना प्रमाण लिखना तो ठीक नहीं लेकिन चर्चा तो बता ही सकते हैं और चर्चा यह है कि निगम में कार्यों की फाइल जिस-जिसके पास जाती है, उसे वहां हस्ताक्षर करवाने के लिए नजराना देना पड़ता है।

वित्त कमेटी की ही बात नहीं, सडक़ों के काम हों, पार्कों के काम हो, डेमोलेशन विंग हो, हर जगह अनियमितताएं स्पष्ट नजर आती हैं। सबसे अधिक चर्चा तो इस बात की है कि जब डेमोलेशन विंग इतनी सक्रिय है, फिर भी नए निर्माण हो रहे हैं। वह मेयर और निगम अधिकारियों की सहमति के बिना होना संभव लगता नहीं। इसी प्रकार अतिक्रमण हटाने के नाम पर जो खेल खेला जा रहा है, उस पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं।

सामान्य बैठक में अनेक पार्षदों ने अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाए और शिकायत की कि उनका काम संतोषजनक नहीं है लेकिन हर बैठक में यह आश्वासन मिलता है कि अधिकारियों को समझा दिया जाएगा लेकिन तीन वर्ष से अधिक होने पर भी स्थिति ज्यों की त्यों है।

उपरोक्त स्थितियों को देखकर यदि सोचा जाए तो आने वाले समय में निगम में अच्छे धमाके हो सकते हैं, क्योंकि निगम की बैठक में यह कहा गया था कि बंदरबांट होती है और बंदरबांट में जब झगड़े होने लगते हैं तो धमाके होते ही हैं। अब देखते हैं कि मेयर टीम, अधिकारी या राव इंद्रजीत सिंह इसको किस प्रकार संभालेंगे।

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