प्रदेश के किसानों के लिए अत्यंत घातक हैं यह काले कृषि कानून जिनको बना उसकी उपलब्धियों के बखान करती घूम रही है भाजपा सरकार उसके सांसदगण, विधायक, मंत्रीगण और नेता – जिन्हें कृषकों की तनिक भी चिंता नहीं  उनके भविष्य की जरा भी समझ नहीं ,  ईन कानूनों के समर्थन में ट्रेक्टर रैलियाँ निकालने वाले नेताओं को महज अपने पदों की लालसा है किसानों का वजूद रहे न रहे  कोई फर्क नहीं पड़ता है उन्हें !

हरियाणा पंजाब का किसान मर जाएगा  कृषि उत्पादों के क्रय-विक्रय और कहीं से भी माल लाने ले जाने की खुली छूट से, एक देश एक कानून बनने से लाभ नहीं हानि होगी दोनों प्रदेशों के किसानों को क्योंकि यहाँ का किसान समृद्ध है सम्पन्न है इसलिए वह तो अपनी फसल को बेचने बाहर जाएगा नहीं किन्तु उत्तरप्रदेश, बिहार , मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के किसानों को जरूर लाभ पहुंचेगा , मगर हमारे दोनों प्रदेशों में अच्छी फसल होने उपरांत भी खरीद नहीं हो पाएगी , ईधर सरकार एमएसपी जारी तो रखेगी मगर खरीदेगी बहुत कम  इसलिए यहाँ का किसान अपनी फसल को लेकर बैठा रोएगा  कर्जवान होकर आत्महत्त्याएँ करने तक को मजबूर हो जाएगा  परन्तु ईस दुर्भाग्यपूर्ण स्तिथि की किसी को फिकर नहीं !

आज भी हमारे किसानों की 50 प्रतिशत फसल को ही खरीद पा रही है सरकारें बाकि बची फसल मिलर , ट्रेडर्स , माल्ट , पोल्ट्री फ़ीड ,ब्रेड ,बिस्किट , बनाने वाली कम्पनियाँ खरीद करती है जिन्हें एमएसपी से नीचे खरीदने का अवसर सरकार तथा अधिकारी उन्हें देते भी हैं, किसानों की फसल में नमी का बहाना बनाकर, कभी पंखा तो कभी झरना लगाकर लेने के नाम पर ,गेटपास और टोकन लेने की जटिल प्रक्रियाओं से गुजार कर  अर्थात खरीद को लंबित कर प्रतीक्षा कर ऊब चुके किसानों की फसलों को एमएसपी से नीचे बेचने पर मजबूर करके – दूसरी ओर सरकारी झुंझना बजता रहता है कि हम एमएसपी पर सभी किसानों की फसलों को खरीद रहे हैं ,एक एक दाना खरीदेंगे बोलकर !

भाजपा सरकार की शातिर चाल पर गौर करने वाली बात यह है कि हरियाणा पंजाब से सस्ती फसल जिन्हें पहले यहीं से खरीदने की मजबूरी होती थी फ्लोर मिलों को , ब्रेड, बिस्किट ,दलिया, बीयर और मुर्गीदाना बनाने वाली कम्पनियों को – अब उनके लिए यह बाध्यता ही नहीं रहेगी तो वह अन्य प्रदेशों का रुख करेंगे सस्ता माल लाने के लिए वह यहाँ से महंगा माल क्यों खरीदेंगे – जब्कि उन्हें आवश्यकता भी वैसी ही फसल की होती है , तब उस स्तिथि में क्या करेगा यहाँ का किसान यह सवाल पूछता है तरविंदर सैनी ( माईकल ) नमो,मनो, सरकार से कृषिमंत्रियों से ?

किसानों से समक्ष नई चुनोतियाँ पेश आएंगी , प्रतिस्पर्धा के चलते परंपरागत खेती पर खतरनाक असर तो पड़ेगा ही साथ ही साथ खेतिहर मजदूर ,आढ़ती व पल्लेदार, खेती से जुड़ा ट्रांसपोर्ट वाला बेकारा और बेरोजगार हो जाएगा , बाजार व्यवस्था ठप हो जाएगी अर्थात लाखों लोग प्रभावित हों जाएंगे – खाद , बीज, तेल, यूरिया सब महंगे ही रहेंगे जिससे उत्पादन लागत तो बढ़ेगी मगर किसानों की फसल जो आज बिक रही है उन दामों में भी नहीं बिक सकेगी, दामों में गिरावट आने से किसानों की हालत दयनीय स्थिति में पहुंच जाएगी , यह चिंताजनक विषय हैं जिनकी ओर किसी सत्ताधारी पार्टी नेता , किसी भी विपक्षीदल के नेता का ध्यान नहीं गया !

वैसे अपने आप को सबसे बड़े किसान हितैषी बन दिखाने की होड़ लगी हुई है  वह भी बरोदा उपचुनाव तक मगर उसके बाद खासतौर पर हरियाणा पंजाब के किसानों की दुर्गति होना तय है यदि ईन काले कृषि कानूनों का एकस्वर में मुखरता से विरोध नहीं करेंगे प्रदेशवासी तो !ईन जबरन थोपे गए काले कानूनों की समाप्ति तक अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखना होगा हमें

– मैं आवाह्न करता हूँ आपका धरतीपुत्रों की रक्षा हेतु : माईकल सैनी