23 अक्टूबर 2020 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि एम्स पर हरियाणा सरकार के मंत्री-संतरी बार-बार विरोधाभासी बयान देकर दक्षिणी हरियाणा के लोगों को ठग रहे है। विद्रोही ने कहा कि 7 जुलाई 2015 से एम्स के नाम पर लोगों को ठगने का यह सिलसिला लगातार पांच साल से जारी है, पर एम्स निर्माण नही हो रहा। मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने जुलाई 2015 में एम्स निर्माण की घोषणा की और फिर 2018 में इसे जुमला बता दिया। लोकसभा चुनाव में वोट बटोरने व जनाक्रोश को कम करने 29 फरवरी 2019 को केन्द्रीय मंत्रीमंडल ने मनेठी में एम्स बनाने का फैसला किया, फिर मोदी सरकार बनने के बाद जून 2019 में प्रस्तावित जमीन को पर्यावरणीय अनुमति नही मिलने के नाम पर एम्स निर्माण फिर अनिश्चित हो गया। विगत डेढ़ साल से मनेठी एम्स बारे में सरकार भिन्न-भिन्न बोलिया बोलती आ रही है, पर एम्स निर्माण का ठोस रास्ता अभी तक तैयार नही कर पाई है। विद्रोही ने कहा कि अब मनेठी की बजाय माजरा में जमीन मिलने की बात कहकर माजरा में एम्स निर्माण की बात की जा रही है। स्थानीय विधायक व हरियाणा सरकार के मंत्री दावा कर रहे है कि केन्द्रीय टीम ने माजरा की जमीन को एम्स निर्माण के लिए स्वीकृति दे दी है और जल्दी ही भूमि लेने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। वहीं रेवाडी जिला प्रशासन कह रहा है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने माजरा की प्रस्तावित जमीन का निरीक्षण करके कुछ बिन्दुओं पर जानकारी मांगी है, जो केन्द्रीय सरकार को उपलब्ध करवा दी गई है। हरियाणा सरकार के मंत्री, जिला प्रशासन की बात में विरोधाभास बताता है कि एम्स पर मनमानी बयानबाजी दाग कर दक्षिणी हरियाणा के लोगों को अर्धसत्य बताकर ठगा जा रहा है। विद्रोही ने कहा कि हरियाणा सरकार कह रही है कि एम्स के लिए माजरा की प्रस्तावित जमीन देने वाले किसानों ने प्रति एकड़ 29 लाख रूपये मुआवजा मिलेगा। वहीं माजरा के किसान कह रहे है कि एम्स के लिए अपनी जमीन 50 लाख रूपये प्रति एकड़ से कम भाव पर नही देंगे व साथ में जमीन की एवज में एक व्यवासयिक प्लाट भी लेंगे। सवाल उठता है कि जब अभी तक यह ही तय नही पाया है कि माजरा की प्रस्तावित जमीन एकमुश्त 200 एकड़ है या नही। जमीन के बीच में जो पैच है और पैच वाले किसान अपनी जमीन देने को तैयार नही है तो उनकी जमीन कैसे लेकर एकमुश्त 200 एकड़ जमीन इक्कठी होगी। वहीं विद्रोही ने सवाल किया कि माजरा के किसानों को जमीन का मुआवजा 50 लाख प्रति एकड़ देने को सरकार अभी तक तैयार नही है तो फिर जमीन मिलेगी कैसे? इतनी विसंगतियों के बाद भी सरकार-प्रशासन एम्स के बारे में लोगों को सच्चाई बताने की बजाय बार-बार जुमलेबाजी करके गुमराह क्यों कर रहा है? Post navigation अशफाक उल्ला खां, क्रांतिकारी इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है खट्टर और दुष्यन्त की लाचारी, योगेश्वर पर पड़ेगी भारी