पंचकूला 20 अक्टूबर 2020 – केंद्र एवं राज्य सरकार की कर्मचारी व मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में 26 नवंबर को होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल में पंचकूला के कर्मचारी भी बढ़-चढ़कर शामिल होंगे। यह फैसला आज सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा की जिला कार्यकारिणी पंचकूला की मीटिंग में लिया गया। इस हड़ताल का आह्वान देश की 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारी संघों की फेडरेशनों ने संयुक्त तौर पर किया है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के राज्य प्रचार सचिव इंद्र सिंह बधाना व जिला प्रधान रामपाल मलिक ने बताया कि यह हड़ताल केंद्र व राज्य सरकार की कर्मचारी व जनविरोधी नीतियों के खिलाफ की जा रही है। इस हड़ताल में पंचकूला के सभी विभागों, बोर्डों, निगमों, विश्वविद्यालयों, नगर निगमों, परिषदों, नगर पालिकाओं के हजारों कर्मचारी शामिल होंगे।

उन्होंने बताया कि 5 नवंबर को नोटिस दिवस मनाया जाएगा। नोटिस दिवस पर जिला उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन कर 26 नवंबर की राष्ट्रीय हड़ताल का नोटिस मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को भेजे जाएंगे।

26 नवंबर की राष्ट्रीय हड़ताल की ऐतिहासिक सफलता सुनिश्चित करने के लिए सर्व कर्मचारी संघ ने टीमों का गठन किया है। ये टीमें वरिष्ठ उपप्रधान रणधीर राघव, जिला सचिव विजय पाल सिंह, संगठन सचिव श्रवण कुमार जांगड़ा, कोषाध्यक्ष राजेंद्र पाल, उपप्रधान धर्मपाल व राजीव चौहान, सहसचिव विपन कुमार अग्रवाल के नेतृत्व में चलेंगी। ये टीमें सभी विभागों के कार्यालयों में जाकर प्रचार करेंगी एवं हड़ताल के मांग एवं मुद्दों और सरकार की कर्मचारी एवं मजदूर विरोधी नीतियों से कर्मचारियों को अवगत कराने के लिए सभी विभागों में सघनता के साथ जनसंपर्क अभियान चलाएंगी।

इस बैठक में नितिन सिंगला, नीर कुमार, मनजीत सिंह, कर्म सिंह, बलदेव सिंह आदि कर्मचारी नेताओं के साथ ही विभागीय संगठनों के पदाधिकारियों ने भी भाग लिया और हड़ताल को सफल बनाने का संकल्प लिया।

हड़ताल की मुख्य मांगें:-
• सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपना बंद हो।
• जनतांत्रिक अधिकारों पर किए जा रहे हमलों पर रोक लगाई जाए।
• श्रम कानूनों में पूंजीपतियों के हाथों में बदलाव करना बंद करो। • संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने पर रोक लगाओ।
• एनपीएस को रद्द कर, पुरानी पेंशन बहाल करो।
• डीए-एलटीसी बहाल की जाए। • ठेका प्रथा समाप्त कर कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए।
• जन सेवाओं के निजीकरण पर रोक लगाई जाए।
• बर्खास्त 1983 पीटीआई का तुरंत शिक्षा विभाग में समायोजन किया जाए।

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