श्रद्धा के साथ मनाया 93वां शहीदी दिवस, विधान सभा अध्यक्ष ने किया प्रतिमा पर माल्यार्पण

क्रांतिकारियों के जीवन पर आधारित पुस्तक का किया  विमोचन

कहा, देश के शहीदों को जाति या क्षेत्र के दायरे में न बांधे  

पंचकूला, 23  मार्च। हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा है कि अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। जिस प्रकार भगत सिंह के समय में देश के लिए जान देने की जरूरत थी, उसी प्रकार आज के समय में देश के लिए जीना जरूरी है। युवाओं को महान क्रांतिकारियों से प्रेरणा लेते हुए देश के लिए जीने का संकल्प लेना होगा। गुप्ता शनिवार को पंचकूला के भगत सिंह चौक पर आयोजित 93वें शहीदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन पंचकूला के शहीद भगत सिंह जागृति मंच की ओर से किया गया।

इस अवसर पर गुप्ता ने पार्टी पदाधिकारियों और शहर के गणमान्य नागरिकों के साथ शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।  इस दौरान उन्होंने क्रांतिकारियों के जीवन पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि आज के हर युवा को इन तीनों महान शहीदों की जीवनी जरूर पढ़नी चाहिए।

हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि अपने देश को स्वतंत्र करवाने वाले वीर शहीदों की लंबी श्रृंखला है, इन सब में शहीद शिरोमणि सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के नाम सर्वोच्च हैं। उनके बलिदान ने न केवल आजादी की राह आसान की, बल्कि लाखों युवाओं को देश के लिए बलिदान देना भी सिखाया। उन्होंने कहा कि शहीदों को जाति या क्षेत्र विशेष के दायरे में नहीं बांधना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहीदों की यादों और उनके विचारों को चिरस्थायी बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इस कड़ी में दो साल पूर्व मनाया गया शहीद शिरोमणि सरदार भगत सिंह का 115वां जन्मदिन ऐतिहासिक साबित हुआ था। प्रधानमंत्री ने चंडीगढ़ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्‌डे का नाम शहीद शिरोमणि सरदार भगत सिंह के नाम पर रख कर उन्हें विशेष सम्मान दिया है।

पंचकूला में सभी सामुदायिक केंद्रों के नाम शहीदों व क्रांतिकारियों के नाम पर रखे हैं। सेक्टर 7 के सामुदायिक केंद्र का शहीद शिरोमणि भगत सिंह के नाम पर रखा गया है।

अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी। वर्ष 1922 में चौरी-चौरा हत्याौकांड के बाद गांधी जी ने जब किसानों का साथ नहीं दिया तब भगत सिंह बहुत निराश हुए। भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसम्बर 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज़ अधिकारी जे० पी० सांडर्स को मारा था। 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली स्थित केन्द्रीय असेम्बली में बम फेंका। बम फटने के बाद उन्होंने ‘इंकलाब-जिन्दाबाद, साम्राज्यवाद-मुर्दाबाद!’ के नारे लगाए। इस आरोप में 23 मार्च 1931 को शाम के करीब 7 बजकर 33 मिनट पर भगत सिंह तथा इनके दो साथियों सुखदेव व राजगुरु को फांसी दे दी गई।

उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह जागृति मंच के अध्यक्ष जगदीश भगत सिंह ने शहीदों के प्रति जागरूकता लाने में सराहनीय भूमिका निभाई है। मंच का यह प्रयास नई पीढ़ी में शहीदों के प्रति जागरूकता लाने में सहायक होगा। इस अवसर पर मेयर कुलभूषण गोयल, भाजपा जिला अध्यक्ष दीपक शर्मा, महामंत्री वीरेंद्र राणा, पार्षद सोनिया सूद, राकेश वाल्मीकि, नरेंद्र लुबाना, भाजपा कार्यकर्ता उमेश सूद, सीबी गोयल, शहीद भगत सिंह जागृति मंच के मुख्य सलाहकार के ए जोशी, उपाध्यक्ष ऋषि गुप्ता, सचिव अक्षय मदान, कोषाध्यक्ष अजिंदर हुडा समेत अनेक अधिकारी मौजूद रहे।

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