खट्टर सरकार ने बड़े जोर शोर से महिला थाने स्थापित किये थे ताकि दहेज, घरेलू हिंसा, बलात्कार, छेड़छाड़ जैसे महिला अपराधों में प्रदेश की महिलाओं को शिकायत करने में सुविधा हो और जल्द कार्यवाही हो सके। किन्तु मोजूदा समय मे ये महिला थाने साल साल भर पुराने मामलों में FIR दर्ज न करके हरियाणा में महिला अपराध के आंकड़े मैनेज करने का काम कर रहे है ताकि सरकार की किरकिरी होने से बच सके। शोषित महिला इंसाफ की आस में थाने का रुख करती है किंतु वहा जाने के बाद सिस्टम उसका शोषण शुरू कर देता है। 2019 की एक घरेलू हिंसा और दहेज शिकायत में इंसाफ न मिलने पर मार्च 2020 में फिर लिखित शिकायत होती है जिसमे प्रोसेस पूरा होने के बाद 10/8/2020 को FIR के लिए लिखित बयान ले लिए जाते है। किंतु उसके बाद थाने से कोई जवाब नही मिलता। जांच अधिकारी के अनुसार उसने अपना काम कर दिया फाइल (169-5P) आगे अधिकारियों को भेज दी है किंतु FIR कब दर्ज होगी ये नही पता। महिला थाने के अनुसार 19/10/2020 तक फाइल वापिस थाने में नही आई है। जांच करने पर पता चला कि फाइल 20/8 को ही थाने में जा चुकी है। एक तरह से 2 महीने से पीड़ित महिला को थाने से झूठ बोला जा रहा है। आज थाने जा कर फाइल की डिटेल बताई गई तब जवाब मिला कि आ गई होगी फाइल ढूंढ लेंगे। FIR कब होगी पर जवाब मिला कि अभी तो 2019 की फाइलें ही पड़ी है पहले वो निपटाएंगे उसके बाद इनका नंबर आएगा। एक तरह से ये निश्चित नही की FIR कब होगी इस साल होगी भी की नही। नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि उप्पर से आदेश है कि FIR कम दर्ज की जाए ताकि आंकड़ा ज्यादा न हो। इसलिए देरी होती है। इससे साफ है कि सरकार की नीयत पीड़ित महिलाओं को इंसाफ दिलवाने की नही है बल्कि आंकड़े मैनेज करने की है जिसका काम हरियाणा में महिला थाने कर रहे है Post navigation ग्रेडिड रैस्पांस एक्शन प्लान की अवहेलना पर नगर निगम गुरूग्राम की कार्रवाई जारी भवन निर्माण कामगार यूनियन के प्रदर्शन से सड़के हुई लाल