निलंबित अधिवक्ता एवं कोर्ट केस में प्रार्थी मुकेश कुल्थिया से संपर्क करने पर ज्ञात हुआ कि ग़ैरकानूनी नोटिस जारी करने के अपराध के आरोप में मुकेश कुल्थिया ने बार कॉउन्सिल चेयरमैन करनजीत सिंह एवं अन्यों के खिलाफ गुड़गांव न्यायालय में 200crpc के तहत 166,403,406,409,503,120B IPC के तहत अपराधों में आपराधिक मुकद्दमा भी दर्ज करवा रखा है एवं अन्य मुकदमे भी विचाराधीन हैं, इसके बावजूद बार काउंसिल पंजाब एवं हरियाणा द्वारा जारी दिनांक 16.08.2020 इतवार के दिन जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार मेरा वकालत पेशे का लाइसेंस 3 महीने के लिए निलंबित कर दिया था।बार काउंसिल पंजाब एवं हरियाणा के चैयरमैन करनजीत सिंह के हस्ताक्षर से जारी आदेशानुसार गुड़गांव के अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया का अधिवक्ता लाइसेंस बिना किसी अनुशासनिक प्रक्रिया, बिना किसी जाँच के निलंबित करने के पश्चात अनुशासन समिति को जाँच के लिए भेजा गया ।जबकि अधिवक्ता कानून के अनुसार किसी अधिवक्ता का लाइसेंस उस अधिवक्ता के किसी भी गुनाह की जाँच पूरी करने के बाद बार कॉउन्सिल की अनुशासन कमिटी ही कर सकती है, किंतु मुकेश कुल्थिया के संदर्भ में जारी चेयरमैन करनजीत जी के आदेशों में स्पष्ट लिखा गया है अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया का लाइसेंस निलंबित करने के पश्चात जांच कमेटी के पास जांच के लिए भेजा गया है ।यह कौन सा कानून है यह तो चेयरमैन करनजीत सिंह ही बता पाएंगे। याचिकाकर्ता एवं निलंबित अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया का कहना है कि उनके द्वारा दायर सरकार द्वारा किये जा रहे ट्रांसपोर्ट घोटाले, आधार घोटाले, कोरोना घोटाले जैसे जनता के अधिकारों एवं मेरे निजी मौलिक अधिकारों की रक्षा के मामले गुड़गांव न्यायालय में चल रहे हैं जिनके कारण दुर्भावना से प्रेरित हो कर सरकारी दबाव के कारण ये गैरकानूनी और्डर बार कॉउन्सिल चेयरमैन ने जारी किया है जबकि जांच प्रक्रिया पूरी किए बिना बार कॉउन्सिल ऐसे आदेश पारित ही नहीं कर सकता एवं छुट्टी के दिन रविवार को ऐसी प्रेस विज्ञप्ति देना भी बार कॉउन्सिल की बौखलाहट जाहिर करता है । बार कॉउन्सिल हरियाणा एवं चेयरमैन करनजीत सिंह के खिलाफ विचाराधीन अन्य मुकद्दमों एवं आपराधिक मुकद्दमे के अलावा , लाइसेंस ससपेंड करने का मुकद्दमा भी मुकेश कुल्थिया ने गुड़गांव कोर्ट में दर्ज करवाया जिसके संदर्भ में बार कॉउन्सिल पंजाब हरियाणा के चेयरमैन करनजीत सिंह को गुड़गांव कोर्ट से दिनांक 26 अकटुबर की सुनवाई के लिए दिनांक 13 अक्टूबर को सम्मन जारी हुए । अब देखना ये है कि माननीय न्यायालय 26 अकटुबर को क्या फैसला देता है । Post navigation क्लिनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट के लिए गठित जिला रजिस्टरिंग अथोरिटी की पहली बैठक फरीदाबाद- गुरूग्राम कलस्टर के ठोस कूड़ा प्रबंधन प्रोजैक्ट में बड़ा घोटाला