तहसीलदार 15 अक्तूबर को संभालें मंदिर चामुण्डा देवी ट्रस्ट का कार्यभार, उच्च न्यायालय का आदेश

-पक्षकारों को ट्रस्ट कार्यालय में बैठने से रोका
– न्यायालय ने पाई भारी वित्तीय व चांदी की अनियमितताओं के चलते ट्रस्ट को कर दिया था भंग

अशोक कुमार कौशिक

नारनौल। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने नगर के प्रसिद्ध एवं प्राचीन चामुण्डा देवी मंदिर के ट्रस्ट का कार्यभार नवरात्रों से पहले 15 अक्तूबर को तहसीलदार या नायब तहसीलदार को संभालने तथा आमदनी व खर्चे का रिकॉर्ड रखने का आदेश दिया है। वादी नरेन्द्र सोनी के अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ ने बताया कि उच्च न्यायालय ने भंग ट्रस्ट के पदाधिकारियों, वादकारियों को यह आदेश भी दिया है कि वे ट्रस्ट के कार्यालय में ना बैठें तथा ऐसा कोई भी प्रभाव प्रदर्शित ना करें, जिससे आम नागरिकों को यह लगे की वे ही ट्रस्ट को चला रहे हैं तथा उनको ट्रस्ट में किसी प्रकार की जिम्मेदारी सौंपी हुई है। 

श्री वशिष्ठ ने बताया कि नरेन्द्र सोनी ने उच्च न्यायालय में एक पिटिशन दायर की हुई है, जिसमें दरखास्त लगाई थी की अपीलीय न्यायालय ने 16 जनवरी 2020 को तहसीलदार को उक्त ट्रस्ट का रिसीवर नियुक्त किया था, किन्तु उन्होंने आदेश के बाद भी अभी तक कार्यभार नहीं संभाला है। दिनांक 17 अक्तूबर 2020 से नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं, जिसमें माता के उपासकों द्वारा दान राशि दी जाएगी, जिसे भंग ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा गबन की संभावना है। माननीय उच्च न्यायालय ने यह आदेश नरेन्द्र सोनी उर्फ टीटू की दरखास्त पर 14 अक्तूबर को पारित किया है। उच्च न्यायालय ने तहसीलदार या नायब तहसीलदार को यह भी आदेश दिया है कि वे 14 दिसम्बर को स्टेट्स रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

क्या है मामलाः

माँ चामुण्डा देवी मंदिर ट्रस्ट में वित्तीय व चांदी की अनियमितताओं के चलते नरेन्द्र सोनी उर्फ टीटू व सुरेश सैनी ने वर्ष 2014 में न्यायालय में एक वाद दायर किया था। उस ट्रस्ट में सूरज बौहरा प्रधान, सुभाष चौधरी उप प्रधान, चेतन प्रकाश चौधरी सचिव, विनोद गुप्ता कौषाध्यक्ष तथा विनोद महता स्टोर कीपर थे तथा 11 अन्य ट्रस्टी भी थे। उक्त मुकदमें को प्रवेश सिंगला, अतिरिक्त सिविल जज वरिष्ठ खण्ड के न्यायालय द्वारा मंजूर करते हुए, वर्तमान ट्रस्ट को भंग कर दिया था तथा वादी नरेन्द्र सोनी को रिसीवर नियुक्त किया था। साथ ही प्रतिवादीगण को मंदिर की सम्पत्ति का गबन करने से रोका था व वादी को अन्य कोई सिविल या फौजदारी कार्यवाही करने की छूट भी दी गई थी।

उक्त फैसले के विरूद्ध कुछ ट्रस्टियों ने अपील की थी, जिसमें अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने कोई स्थगन आदेश तो नहीं दिया था, किन्तु उन्होंने दिनांक 16 जनवरी 2020 को वादी के स्थान पर तहसीलदार को रिसीवर नियुक्त कर दिया था। किन्तु उक्त आदेश के बाद भी तहसीलदार ने मंदिर ट्रस्ट का कार्यभार नहीं संभाला था, जिसके लिए वादी नरेन्द्र सोनी ने उच्च न्यायालय में पिटिशन दायर की हुई है।

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