8 अक्टूबर 2020स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि मनेठी-माजरा में एम्स निर्माण के बारे में भाजपा-संघी सरकार पर यही हरियाणवी कहावत लागू होती है कि गांव बसा नही, मंगते पहले आ गए। विद्रोही ने कहा कि अभी तक एम्स निर्माण के लिए मनेठी-माजरा-भालखी में प्रस्तावित जमीन का मुद्दा सुलझा भी नही कि मोदी सरकार इवेंट द्वारा दक्षिणी हरियाणा को ठगने माजरा-भालखी में एम्स निर्माण के लिए रेवाड़ी प्रशासन से दस बिन्दुओं पर कथित रिपोर्ट मांग रही है। सवाल उठता है कि जब तक एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन का मुद्दा नही सुलझ जाता है, तब तक इन नौटंकियों का क्या औचित्य है? हरियाणा भाजपा सरकार व उसके प्रशासन के रवैये से साफ दिख रहा है कि उनकी रूचि एम्स निर्माण में कम, एम्स निर्माण के नाम पर इवेंट करके लोगों को ठगने में ज्यादा है। 

विद्रोही ने कहा कि एम्स मनेठी में बने या माजरा-भालखी में, पर भाजपा सरकार ईमानदार व गंभीर तो हो। विभिन्न इवेंट नौटंकिया करने की बजाय सरकार एम्स के लिए पोर्टल-पोर्टल खेल खेलकर मामले को उलझाने की बजाय भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत 250 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने से क्यों भाग रही है? केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के कथित दस बिन्दुओं की रिपोर्ट का तब तक कोई महत्व नही है, जब तक जमीन का मुद्दा सुलझ नही जाता। माजरा-भालखी की प्रस्तावित जमीन एकमुश्त 250 एकड़ है या नही, इस पर चुप्पी है। वहीं किसान कह रहे है कि वे 50 लाख रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन देंगे, जबकि सरकार 29 लाख रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन हडपना चाहती है।

विद्रोही ने कहा कि जब यह मामला अभी सुलझा ही नही है कि एम्स के लिए पोर्टल पर जमीन देने वाले किसानों को आखिर मुआवजा किस भाव से मिलेगा और सभी किसान अपनी जमीन देंगे भी या नही, तब तक दस बिन्दुओं की कथित रिपोर्ट का औचित्य ही क्या है? भाजपा सरकार विगत दो सालों से एम्स निर्माण के नाम पर नौटंकिया तो कर रही है, पर एम्स निर्माण की दिशा में कोई भी सार्थक अंतिम कदम उठाने से भाग रही है। सरकार का यह रवैया जीवंत प्रमाण है कि सरकार इस मामले को जान-बूझकर उलझाकर लम्बा खींचने की रणनीति पर काम कर रही है। सरकार एम्स बनाने से इनकार भी नही करना चाहती है और निर्माण करना भी नही चाहती है।

विद्रोही ने मांग की कि इधर-उधर की बात करके एम्स निर्माण मुद्दे को उलझाकर टरकाने की बजाय सबसे पहले प्रस्तावित जमीन का मुद्दा एक पखवाड़े में हल करके भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करे ताकि एम्स निर्माण होना तो सुनिश्चित हो।

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