उपमंडल के दर्जन भर स्कूलों में कमरे हुए जर्जर, शिक्षा विभाग को हादसे का इंतजार

8 से 10 वर्ष पूर्व कमरों के निर्माण में एक अध्यापक द्वारा घटिया व कम सामग्री का किया गया था इस्तेमाल। तत्कालीन अधिकारियों ने किया अध्यापक का बार बार डेपुटेशन।

पुनहाना, कृष्ण आर्य

सर्व शिक्षा अभियान को सफल बनाने को लेकर प्रदेश सरकार ने बच्चों के पढ़ने के लिए उपमंडल के स्कूलों में कमरे बनवाएं थे। परंतु शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते अध्यापकों ने निर्माण कार्य में भारी अनियमितताएं बरतते हुए जमकर भ्रष्टाचार मचाया था। लगभग 8-10 वर्ष पूर्व हुए इस भ्रष्टाचार की परतें अब स्वयं ही खुलने लगी हैं। अध्यापकों द्वारा बनवाए गए कमरे जर्जर हो चुके हैं। कुछ कमरे गिर चुके हैं तो कुछ की दीवार व लेंटर फटने लगे हैं। ऐसे में कमरों में बैठने वाले बच्चों तथा पढ़ाने वाले अध्यापकों के जीवन पर भी खुलेआम संकट मंडरा रहा है। ऐसा नहीं है कि स्कूली अध्यापकों व ग्रामीणों ने कमरों की शिकायत शिक्षा विभाग के अधिकारियों को न की हो। परंतु बार-बार शिकायत के बावजूद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी तथा सर्व शिक्षा अभियान के निर्माण कार्य में लगे अधिकारी मोटी कमाई के चलते कुंभकरनी नींद में सोए हुए हैं।             

 बता दें कि पुन्हाना उपमंडल के सुनेहडा, ठेक, खेडला-पुन्हाना, जैंवत, नहेदा, सिंगलेहडी व पटपडबास सहित  दर्जनों गांवों के सरकारी स्कूलों में करीब 8 से 10 वर्ष पूर्व कमरों को निर्माण किया गया था। जिसमें निर्माण कराने वाले अध्यापक ने निर्माण कार्य में घटिया व कम सामग्री का प्रयोग किया था। आलम यह है कि विभाग द्वारा जारी चौथी किस्त खर्च होने के बावजूद भी छत के लेंटर के उपर टाइलें आज तक भी नहीं लग पाई है। परिणाम स्वरूप इन स्कूलों में बने कमरें कुछ वर्ष बाद ही जर्जर हो गए। वर्तमान में कमरें पूरी तरह से जर्जर हैं और ये कभी भी गिर सकते हैं। इसके साथ ही इन कमरों के गिरने से कभी भी कोई बडा हादसा हो सकता है। हैरत की बात यह है कि इन जर्जर कमरों को तत्कालीन शिक्षा विभाग की अधिकारियों तथा संबंधित जे ई व एस डी ओ द्वारा उस समय क्लीन चिट दे दी गई थी।

मिलीभगत के चलते लगभग दर्जन बार कराया डेपुटेशन:- 

सर्व शिक्षा अभियान के तहत बने कमरों में शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों, सर्व शिक्षा अभियान में निर्माण कार्य देखने वाले जेई व एसडीओ तथा स्कूलों में निर्माण कार्य कराने वाले अध्यापकों द्वारा जमकर लूट मचाई गई। लूट का आलम यह था कि कुछ अध्यापकों ने तो कमरों का निर्माण कार्य कराने के लिए बार-बार उन्हीं स्कूलों में डेपुटेशन कराया, जिनमें प्रशासन द्वारा नए कमरे बनाए जाने थे। एक अध्यापक ने तो अधिकारियों से सांठ- गांठ कर अपना लगभग दर्जनभर से अधिक स्कूलों में अपना डेपुटेशन कराया और जमकर भ्रष्टाचार मचाया। ऐसे में शिक्षा विभाग में चली सरेआम इस लूट के खेल को विभाग के तत्कालीन अधिकारी मौन बनकर देखते रहे। परंतु खुले चले इस भ्रष्टाचार की परतें अब खुद जर्जर कमरे खोलने लगे हैं। विभिन्न स्कूलों में जर्जर होते कमरे खुली लूट की चर्चा अब खुद ही करने को मजबूर हैं। आगे अब देखना यह है कि देश व प्रदेश में ईमानदार कहीं जाने वाली भाजपा सरकार   व प्रशासन भ्रष्टाचार की इन परसों को खोल कर आरोपियों को सजा दिलाने का काम करेंगे या नहीं।

स्कूलों में जर्जर पडे कमरों की रिर्पोट बनाकर उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। आगे की कार्रवाई उच्चाधिकारियों  द्वारा की जाएगी। एतिहात के तौर पर सभी स्कूलों के मुख्याध्यापकों को इन कमरों में काम-काज ना करने की सलाह भी दी गई है। सद्दीक अहमद, खंड शिक्षा अधिकारी पुन्हाना

You May Have Missed

error: Content is protected !!