3 अक्टूबर 2020. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि हाथरस-उत्तरप्रदेश की दलित बेटी से गैंगरेप, हत्या मामले के बाद उत्तरप्रदेश भाजपा-संघी अजय सिंह बिष्ठ सरकार का जो घिनौना, अमानवीय चेहरा सामने आया है, उसकी मिसाल क्या तो राजशाही, सामांतावदी युग या तानाशाही सैनिक राज में तो मिल सकती है, लेकिन लोकतंत्र में मिलना बहुत दुष्कर है।

विद्रोही ने कहा कि संघी राज में किसी मृतक के डिगनिटी के साथ दाह-संस्कार करने का भी अधिकार छीनकर अनैतिकता, फासीजम की सभी हदे तो पार की ही है, साथ में जातिवाद की भी हदे पार कर दी है। हाथरस के पीडित दलित परिवार के दुख की घड़ी में शोक प्रकट करने व उन्हे न्याय का भरोसा दिलाने कोई भी ना जा सके, इसके लिए पूरे हाथरस जिले में धारा 144 लगाकर पीडि़त परिवार के घर व गांव की ऐसी पुलिस नाकेबंदी की है कि मानो उक्त परिवार आतंकवादी हो। वहीं दलित बेटी की हत्या, गैंगरेप आरोपी जो उत्तरप्रदेश मुख्यमंत्री अजय सिंह बिष्ठ के सजातिय व भाजपा समर्थक है, उन एक जाति विशेष के लोगों के आरोपियों के पक्ष में धारा 144 के बाद भी पंचायत करने व भारी तादाद में इक्कठे होने की इजाजत है।

विद्रोही ने कहा कि मोदी-भाजपा-आदित्यनाथ संघी राज में एक कानून उच्च जाति व दबंगों के लिए है और दूसरा कानून दलित परिवार व विपक्षी दलों के लिए है। भारत के प्रत्येक नर-नारी को गंभीरता से विचारना होगा कि जब संघी राज में मृत शरीर का सम्मान सहित अपने रीति-रिवाज अनुसार दाह-संस्कार करने की इजाजत नही, लोगों को पीडि़त परिवार के यहां शोक संवेदना प्रकट करने व न्याय की लडाई में उनके साथ खड़े होने की इजाजत नही तो देश में लोकतंत्र के नाम पर अघोषित तानाशाही व फासीजम नही तो और क्या है? मुख्यमंत्री अपने सजातिय बंधु आरोपियों को खुश करने के लिए पीडि़त परिवार का नार्को टेस्ट करवाने की बात कह रहे है।

आज तक संदिग्ध अपराधियों का नार्को टेस्ट होता रहा है और आगे भी होता रहेगा, पर यह पहली घटना होगी कि जब पीडि़त परिवार को ही आरोपित बनाने के लिए सत्ता दुरूपयोग से उनका नार्को टेस्ट किया जायेगा।

वहीं विद्रोही ने हरियाणा में 6 अक्टूबर को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की किसान, मजदूर हित की प्रस्तावित ट्रैक्टर यात्रा पर हरियाणा भाजपा सरकार के मंत्रीयों व भाजपा नेताओं के मीडिया में आ रहे बयान भी साफ बता रहे है जैसे हरियाणा में भी लोकतंत्र की बजाय फासीजम हो। कांग्रेस की किसान बिलों व श्रमिक विधेयक पर क्या सोच हो, क्या रणनीति हो, इस पर भाजपा को कंाग्रेस को उपदेश देने का कोई अधिकार नही है। यह कांग्रेस का संवैद्यानिक अधिकार है कि वह कैसे और कब-कहां किसान-मजदूर विरोधी कानूनों का विरोध करे।

विद्रोही ने कहा कि कांग्रेस व राहुल गांधी को हरियाणा में ट्रैक्टर यात्रा व सभा करने का संवैद्यानिक अधिकार है जिसे संघी सरकार छीन नही सकती। यदि संघी भाजपा-खट्टर सरकार ने कांग्रेस के इस संवैद्यानिक अधिकार पर डाका डालने की कोशिश की तो हरियाणा सरकार व भाजपा इसके गंभीर दुष्परिणाम भुगतने को तैयार रहे। 

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