4 अक्टूबर 2020/ हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि किसान विरोधी तीन बिलों से ध्यान भटकाने पहले मोदी-भाजपा-खट्टर सरकार ने प्रदेश में आनन-फानन में बाजरा व धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू की और शुरूआत होते हुऐ भाजपा सरकार के मंत्री-संतरी मंडियों में जाकर खरीद के लम्बे-चौड़े दावे मीडिया में करके किसानों को ठगने में जुट गए है।

विद्रोही ने कहा कि किसान बिलों के चलते किसानों के रोष को कम करने व उन्हे गुमराह करके मुद्दे से भटकाने का सत्ता दुरूपयोग से भौंडा कुप्रयास किया जा रहा है। सवाल उठता है कि जब भाजपा सरकार किसानों के बाजरे व धान का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीदने को प्रतिबद्ध है तो पोर्टल पर सरकारी खरीद के लिए एडवांस में फसलों का रजिस्टेऊशन की नौटंकी क्यों? वहीं एक किसान की एक एकड़ जमीन पर निर्धारित मात्रा में फसल एमएसपी पर खरीदने की शर्त क्यों?

 विद्रोही ने कहा कि सरकार के पोर्टल पर रजिस्टेऊशन व निर्धारित मात्रा में ही प्रति एकड़ खरीद की शर्त मुंह बोलता प्रमाण है कि संघीयों का किसान फसलों का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीदने का दावा हवा-हवाई व महाझूठा जुमला है। भाजपा राज का हरियाणा में विगत पांच वर्ष का अनुभव बताता है कि सरकार हर साल किसान फसल का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीदने का झांसा देती है और घोषणा करती है कि जब तक फसल का एक-एक दाना नही खरीद लिया जायेगा, तब तक सरकारी खरीद बंद नही होगी। जबकि धरातल की वास्तविकता यह है कि विगत पांच साल में किसी भी फसल की सरकारी खरीद खट्टर सरकार ने 15 से 20 कार्यदिवसों से ज्यादा नही की।

विद्रोही ने कहा कि कोविड संकट के समय में भीे रबी फसल का एक-एक दाना खरीदने का जुमला उछालने के बाद भी किसानों के कुल उत्पादन का 15 से 20 प्रतिशत गेंहू खरीदकर अचानक सरकारी खरीद बंद कर दी गई थी। वहीं जहां-जहां किसान सरकार द्वारा प्रति एकड़ निर्धारित मात्रा से ज्यादा गेंहू बेचने सरकारी केन्द्रों पर गया था, उसका बचा गेंहू नही खरीदा गया। यहीं स्थिति अब बाजरे खरीद की होने वाली है। दक्षिणी हरियाणा में खट्टर सरकार ने एकबार भी कुल बाजरा उत्पादन का 15 से 18 प्रतिशत से ज्यादा बाजरा नही खरीदा और सरकारी खरीद 12 से 15 दिनो से ज्यादा नही चली। जबकि हर बार बाजरे का एक-एक दाना खरीदने का दमगज्जा उछाला जाता है। वहीं ज्यादा नमी के नाम पर एक क्विंटल बाजरे व धान लेने की बजाय 102 किलोग्राम बाजरा व धान ली जा रही है।

 विद्रोही ने कहा कि दक्षिणी हरियाणा में खरीफ फसल धान की क्या तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ही नही होती और यदि एक-आध मंडी में खरीद की भी जाती है तो वह भी नाममात्र की। इस साल बाजरा व धान की एमएसपी पर सरकारी खरीद किसान विरोधी बिलों से उपजे रोष को कम करने की सुनियोजित रणनीति के तहत की गई है, जिसे हरियाणा का किसान अच्छी तरह से जानता-समझता है ओर व संघीयों के झांसे में आकर उनकी ठगाई में नही आने वाला।

विद्रोही ने भाजपा-खट्टर सरकार को चुनौती दी कि यदि वह बाजरे का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीदने को प्रतिबद्ध है तो मंडियों में तब तक सरकारी खरीद जारी रखने की हिम्मत दिखाये, जब तक किसान अपना बाजरा सरकारी खरीद केन्द्रों पर लाता रहता है। वहीं पोर्टल पर रजिस्टेऊशन व निर्धारित मात्रा में प्रति एकड़ फसल खरीद की शर्त हटाने की हिम्मत दिखाये ताकि सरकार की कथनी-करनी में एकरूपता दिख सके। 

error: Content is protected !!