-घरौंडा में हुई उच्च स्तरीय बैठक में जल पुनर्चक्रण, हाइड्रोपोनिक्स, बीज सुधार और फसल कटाई के बाद प्रबंधन पर हुई चर्चा

चंडीगढ़ , 9 अप्रैल – हरियाणा और इजरायल ने बागवानी के क्षेत्र में कृषि नवाचार को लेकर एक साझा दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। हरियाणा के कृषि मंत्री श्री श्याम सिंह राणा और इजरायल के कृषि व खाद्य सुरक्षा मंत्री एवी डिक्टर के बीच इंडो-इजरायल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल्स, घरौंडा (करनाल) में महत्वपूर्ण बैठक हुई। यह बैठक दोनों देशों के बीच नई दिल्ली में हुए कृषि सहयोग समझौते और कार्य योजना पर हस्ताक्षर के एक दिन बाद आयोजित की गई।
बैठक के दौरान इजरायल के मंत्री डिक्टर ने हरियाणा में जल प्रदूषण की समस्या को देखते हुए जल पुनर्चक्रण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, “हमें प्रदूषित जल का उपयोग सिंचाई के लिए करना चाहिए।” उन्होंने हरियाणा को इस दिशा में संभावनाएं तलाशने की सलाह दी। उन्होंने हरियाणा के कृषि मंत्री श्री श्याम सिंह मंत्री राणा को इजरायल आने के लिए आमंत्रित किया ताकि सिंचाई, बीज उत्पादन और जलवायु नियंत्रित खेती में अपनाई जा रही उन्नत तकनीकों को नजदीक से देखा जा सके।
श्री राणा ने हरियाणा में खारे पानी को शुद्ध करने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों और प्राकृतिक खेती को लेकर चल रही योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष राज्य ने एक लाख एकड़ खारे पानी वाले क्षेत्र को खेती योग्य बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने दिल्ली के आसपास फूलों की खेती (फ्लोरीकल्चर) को बढ़ावा देने की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला।
कृषि मंत्री ने हरियाणा की भौगोलिक विविधताओं का भी उल्लेख लिया और बताया कि एक छोटा राज्य होने के बावजूद हरियाणा का देश की सैन्य सेवा और अंतरराष्ट्रीय खेलों में पदक जीतने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इजरायल के मंत्री डिक्टर ने हरियाणा में विकसित ग्रीनहाउस और उन्नत खेती प्रणालियों की सराहना की। उन्होंने हाइड्रोपोनिक्स जैसी तकनीकों की बात की, जिसमें पौधे स्वयं पोषक तत्वों की आवश्यकता के लिए संकेत देते हैं। उन्होंने इजरायली नींबू जैसी उच्च गुणवत्ता वाली खट्टे फलों की किस्मों को हरियाणा की जलवायु के अनुकूल बनाकर संयुक्त रूप से विकसित करने की इच्छा भी जताई।
हरियाणा के कृषि मंत्री श्री श्याम सिंह राणा ने प्राकृतिक खेती में राज्य की प्रगति के साथ-साथ ट्रेलिसिंग और मल्टी-स्टोरी मशरूम फार्मिंग जैसी तकनीकों की संभावनाओं पर चर्चा की। उन्होंने कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा, “हमारी कृषि उपज का बड़ा हिस्सा कटाई के बाद नष्ट हो जाता है। हम पोस्ट-हार्वेस्ट लॉसेज को कम करने पर काम कर रहे हैं।”
दोनों देशों के मंत्रियों ने हाइड्रोपोनिक्स के क्षेत्र में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के रूप में विकसित करने पर सहमति जताई, जिससे भारत-इजरायल कृषि साझेदारी का एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है।
बैठक में इजरायली मंत्री के साथ भारत में इजरायल के राजदूत रूवेन अजार, याकोव पोलेग, सारा ओल्गा यानोवस्की, उरी रुबिनस्टीन, येदिदा शुलमैन और ब्रिहामा देव भी उपस्थित थे। भारत सरकार की ओर से अधिकारी राजेश साहा और मनोज कुमार भी बैठक में शामिल हुए।