मंडन मिश्रा 

भिवानी : पेड़-पौधे ही पर्यावरण के रक्षक होने के साथ उनको स्वच्छ भी बनाते हैं। इसके बिना कोई भी अपने जीवन की संभावना नहीं कर सकता है। इसलिए लोगों को पेड़-पौधों को लगाने के लिए हर व्यक्ति को आगे आना चाहिए। लेकिन वर्तमान में लोग अपने भौतिक सुख-सुविधाओं के लिए जंगल काटकर इस धरती को पेड़ विहीन बना रहे हैं। यह बात अंतर्राष्ट्रीय श्री महंत अशोक गिरी ने कही। वे आज शिव शक्ति जन कल्याण सेवा ट्रस्ट के द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।शिवशक्ति जन कल्याण सेवा ट्रस्ट के द्वारा लोगों को  औषधीय पौधे वितरित किए।

उन्होंने कहा कि औषधीय पौधे भेंट कर  उन्होंने कहा कि अर्जुन की छाल से हृदय रोग, क्षय, पित्त, कफ, सर्दी, खांसी, अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल और मोटापे जैसी बीमारी को दूर करने में मदद मिलती है। इसके अलावा यह महिलाओं के लिए भी काफी उपयोगी है। खूबसूरती बढ़ाने वाली क्रीम के अलावा स्त्री रोगों में भी यह बहुत काम की औषधि है|

अमलतास के पत्ते अथवा जड़ को पीसकर लेप करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है। इससे दाद या खुजली जैसे चर्म रोगों में भी लाभ होता है। अमलतास की पत्तियों तथा कुटज की छाल का काढ़ा बना लें। इसे स्नान, सेवन, लेप आदि करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।इसका फूल-शीतल तथा कफ, वात शामक होता है। यह बवासीर, अतिसार (दस्त), रक्त विकार तथा पेशाब में जलन को दूर करने वाला है । पलाश मधुमेह, नपुंसकता, गर्भ की रक्षा तथा पीड़ा को दूर करने वाला है । यह फोड़े-फुंसी और तिल्ली की सूजन में गुणकारी और लाभकारी है।

पेड़ लगाते समय यह हमेशा ध्यान रहें जो वृक्ष रोपण हम कर रहें उसका हमारे जीवन संस्कृती संस्कार सुरक्षा में उसका कितना योगदान है।

आज कल बहुत से एसे वृक्ष है जो केवल हरे दिखाई देते है लेकिन पर्यावरण ओर मनाव जीवन में योगदान नगण्य है। पेड़-पौधे अगर कम होते गए तो ग्लोबल वार्मिंग की समस्या और अधिक पैदा होने लगेगी। जिसका असर वर्तमान में दिखाई भी दे रहा है। पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने लगा है। स्थिति यह है कि पिछले दस साल में पृथ्वी का तापमान बढ़ा है। वहीं हिम खंभ भी पिघलने लगे हैं। अगर भविष्य में ऐसा ही होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हम लोगों को ऑक्सीजन लेने के लिए रुपए खर्च करना पड़ेगा.

अशोक गिरी ने कहा कि कहा कि लोगों का कर्तव्य है कि वह अपने जीवन में कम से कम दस पौधे जरूर लगाएं। साथ ही लगाए गए पौधों की तब-तक सुरक्षा करें जब-तक वे बड़े नहीं हो जाते हैं। यह सब काम समाज को जागरूक किए बगैर नहीं हो सकता है। महाराज ने कहा कि यदि प्रकृति को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाए तो कदापि गलत नहीं होगा। पेड़ों पर प्रकृति निर्भर करती है। पेड़ लगाना प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन है और प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन ईश्वर की श्रेष्ठ आराधना है। एक पेड़ लगाने से असंख्य जीव-जन्तुओं के जीवन का उद्धार होता है और उसका अपार पुण्य सहजता से हासिल होता है।

एक तरह से पेड़ लगाने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। भारतीय संस्कृति में भी वृक्षारोपण को अति पुण्यदायी माना गया है। शास्त्रों में लिखा गया है कि एक पेड़ लगाने से एक यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है।।इस अवसर पर सुनील बोंदिया,विपुल बंसल ,अमरनाथ सर्राफ़ ,राहुल गर्ग, मनोज अग्रवाल, अमित शर्मा , नरेश तंवर ,वेद प्रकाश सोनी,सुरेश सैनी, वसंत शास्त्री भी उपस्थित थे

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