26 सितम्बर 2020, स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि भाजपाई-संघी, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक व भाजपा नेता बार-बार मीडिया में दुहाई दे रहे है कि एमएसपी व अनाज मंडिया समाप्त नही होगी और किसानों के साथ अन्याय नही होगा।

विद्रोही ने संघीयों व उनके समर्थकों से सार्वजनिक सवाल किया कि देश व किसान मोदीजी की किसी भी बात पर क्यों विश्वास करे? क्या विगत छह सालों में मोदीजी ने जो कुछ संसद व संसद से बाहर कहा है, उस पर अमल किया है? क्या मोदीजी की कही कोई महत्वपूर्ण बात व वादा पूरा हुआ है? मोदीजी ने 2014 लोकसभा चुनाव में किसानों का कर्ज माफ करने, हर साल युवाओं को दो करोड़ रोजगार देने, विदेशों से काला धन लाकर हर बैंक खाते में 15 लाख रूपये जमा करने का वादा किया था, वह पूरा किया? विद्रोही ने सवाल किया कि नोटबंदी के समय काला धन समाप्त होने, आतंकवादी फडिंग बंद होने व अर्थव्यवस्था के मजबूत होने का सार्वजनिक दावा किया था, क्या यह पूरा हुआ? मोदीजी ने कहा था कि यदि 50 दिन में नतीजे नही निकले तो मुझे किसी चौराहे पर लटका देना। नोटबंदी से मध्यम-छोटे दुकानदार बर्बाद हुए, लाखों लोग बेरोजगारी हुए, व्यापार-धंधे चौपट हुए, नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था आज तक पटरी पर नही लौटी है, जीडीपी ऐतिहासिक स्तर तक गिरी, क्या मोदीजी किसी चौराहे पर लटके? जीएसटी में दिखाये गए सपने व राज्यों से किये जीएसटी वादे पूरे हुए?

 विद्रोही ने पूछा कि धारा 370 समाप्त करते समय कश्मीर घाटी से आतंकवाद समाप्त होने, कश्मीर में भारी निवेश होने, नये रोजगार अवसर पैदा होने जैसे बहुत वादे-दावे किये थे, क्या इनमें से एक भी वादा-दावा पूरा हुआ? वर्ष 2014 में चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनकर संसद में पहुंचे मोदीजी ने संसद सीढियों पर माथा टेका था, पर विगत छह सालों में उन्होंने संसद व लोकतांत्रिक परम्पराओं का सम्मान किया? लोकतंत्र को मजबूत करने की बजाय इसे फासीजम में नही बदला?

विद्रोही ने कहा कि जिस तरह राज्यसभा में किसान बिल पास हुए और विपक्ष की गैरमौजदूगी में मात्र दो दिन में छह घंटेे में 15 महत्वपूर्ण बिल राज्यसभा में पास करवाये, क्या वह लोकतांत्रिक आचरण था? क्या ऐसा करने से मोदीजी ने भारत के लोकतंत्र को बनान रिपब्लिक में नही बदला? विद्रोही ने कहा कि गुजरात के सीएम के रूप में मोदीजी ने 2011-12 में कांग्रेस सरकार को सिफारिश की थी कि किसान को एमएसपी मिले, इसके लिए कानून बने। आज पीएम बनने के बाद उन्होंने किसान बिल पास करते समय किसानों को एमएसपी मिले, इसका प्रावधान क्यों नही किया? मोदीजी ने यूटर्न पर यूटर्न क्यों लिए?

क्या मोदीजी व संघी यह कहकर महाझूठ नही बोल रहे है कि किसान बिलों से पहले किसान अपनी मंडी व राज्य से बाहर फसल नही बेच सकता था? मोदीजी बताये किसान पर राज्य से बाहर फसल बेचने पर विगत 70 सालों में क्या रोक थी? ऐसा महाझूठ बोलने वाले प्रधानमंत्री पर देश क्यों और किसलिए भरोसा करे? विद्रोही ने कहा कि जो प्रधानमंत्री झूठ बोलने की मशीन बन चुके है और पल धड़ाधड़-धड़ाधड़ झूठ पर झूठ बोलते हो, उस प्रधानमंत्री की किसी बात पर देश व किसान कैसे भरोसा करे?

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