21 सितम्बर 2020. स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि लोकतांत्रिक परम्पराओं व नियमों को तांक पर रखकर मोदी-भाजपा सरकार ने राज्यसभा उपसभापति संघी गुलाम हरिवंशराय को आगे करके जिस तरह जबरदस्ती राज्यसभा में किसान बिल पास करके किसानों का डेथ वारंट जारी किया है, वह भारतीय प्रजातांत्रिक इतिहास में ऐसा अमिट कलंक है जो वर्षो तक भारतीय लोकतंत्र को शर्मसार करता रहेगा। विद्रोही ने कहा कि राज्यसभा की स्थापित परम्पराओं के विपरित समय अवधि खत्म होने पर भी बिना आम सहमति के सदन को चलाकर विपक्ष की आवाज को बुल्डोज करके, डिविजन मांग को अनसुना करके जिस तरह बिना वोटिंग भारी हंगामे के बीच किसान बिल पास करवाये है, वह लोकतंत्र की हत्या है। राज्यसभा उपसभापति व जदयू नेता हरिवंशराय ने अपने कुकृत्य से साबित कर दिया कि जदयू और जदयू सांसद भाजपा-संघ के गुलाम है जिनका काम मालिक संघीयों की इच्छानुसार काम करके लोकतंत्र की पीठ में छुर्रा घोंपना है। विद्रोही ने कहा कि जिस तरह आज से 5 हजार साल पहले कौरवो की सभा में सत्ता मद में दुर्योधन के आदेश पर दुशासन ने द्रोपदी का चीरहरण करके कौरवों के विनाश की नींव रखी थी, उसी तरह सत्ता मद में चूर मोदी ने कौरवों रूपी राज्यसभा में सभी लोकतांत्रिक परम्पराओं को कुचलकर किसान बिल पास करके किसानों के डेथ वारंट जारी किये है, उससे मोदी-भाजपा-संघ के विनाश की नींव भी इन बिलों के माध्यम से रख दी है। आने वाले समय में देश का किसान व कमेरा वर्ग वोट की चोट से मोदी-भाजपा-संघ का विनाश भी उसी तरह से करेगा, जिस तरह भगवान श्रीकृष्ण के नेतृत्व में धर्मक्षेत्र कुरूक्षेत्र के महाभारत युद्ध में कौरवों का विनाश पांडवों ने किया था। विद्रोही ने कहा कि यदि अब भी किसानों व कमेरे वर्ग ने अपने दोस्त व दुश्मन के बीच फर्क नही समझा तो वे अपना भविष्य तो बर्बाद करेंगे ही, साथ में भावी पीढ़ी को भी बडे पूंजीपतियों का अप्रत्यक्ष गुलाम बना देंगे। कांग्रेस ने जमीदारी प्रथा खत्म करके किसानों को शोषण व जुल्म से बचाया था। अब आजाद भारत में वोट से चुनी एक सरकार ने किसान बिल के माध्यम से किसान व खेत को बड़े पंूजीपतियों द्वारा हडपने व उन्हे फिर से गुलाम बनाने का रास्ता तैयार कर दिया है। विद्रोही ने कहा कि यदि किसान व कमेरे वर्ग ने मोदी-भाजपा-संघ की फासिस्ट नीतियों का विरोध करके उन्हे सत्ता से नही उखाडा तो किसानों व उनकी भावी पीढियों की फिर से गुलामी तय है। Post navigation किसान, किसान विरोधी बिलो के कारण संकट में. कांग्रेस की बिलों को रद्द करने की मांग कृषि बिल विपक्ष के ज़ोरदार हंगामे के बावजूद ध्वनिमत से पास हो गए !