रोष स्वरूप फूंकी कृषि अध्ययादेशों की प्रतियां

भिवानी/मुकेश वत्स  

कृषि से जुड़े तीन अध्ययादेशों के विरोध में रविवार को जिला के गांव कोंट में अखिल भारतीय किसान समिति से जुड़े किसान सडक़ों पर उतरे और उन्होंने विरोध स्वरूप अध्ययादेशों की प्रतियां जलाई। इस मौके पर किसानों ने कहा कि केंद्र सरकार के किसान विरोधी तीन काले अध्यादेशों को रद्द करने, बर्बाद हुई फसलों की गिरदावरी करवाकर 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने सहित विभिन्न मांगे की गई।

इस अवसर पर कामरेड़ ओमप्रकाश, किसान नेता रामफल देशवाल पहुंचे तथा उन्होंने किसानों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कामरेड ओम प्रकाश एवं किसान नेता रामफल देशवाल ने कहा कि कृषि से जुड़े तीन अध्ययादेशों का किसानों द्वारा विरोध किए जाने के बावजूद भी सरकार द्वारा इसे लोकसभा में पारित किया गया है, जो कि सरासर सरकार की तानाशाही रवैया दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कृषि से जुड़े इन अध्ययादेशों के लोकसभा में पारित होने के बाद अब किसानों को मिलने वाला फसलों का समर्थन मूल्य खत्म हो जाएगा। वही कांट्रेक्ट फार्मिंग के चलते किसान अब कंपनियों के आधीन होकर जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर किसान मंडियों से बाहर जाकर फसल बेचता है तो प्रदेश में 6 हजार करोड़ रूपये खर्च करके नई मंडिया बनाने का क्या औचित्य रह जाता है।

वही प्रदर्शन में शामिल किसान सरवीन, लक्की कोंटिया, कर्मबीर, विनय, जयदीप, अमित, नवीन, जयभगवान, लीला, सोमबीर बरमन, बृजपाल ठाकुर, गांधी फौजी, ईश्वर ने कहा कि सरकार किसानों को खत्म करने के साथ ही कुछ पूंजपीतियों को इन विधेयकों के जरिए फायदा पहुंचाना चाहती है। उन्होंने दावा किया कि ये काले कानून किसानों और मजदूरों के शोषण के लिए बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा तीन काले अध्यादेश लाने के पीछे उसकी मंशा छोटे व मध्यम किसानों की कीमत पर बड़े पूंजीपति घरानों को फायदा पहुंचाने की है। इसलिए प्राईवेट मंडी खोलने, जमाखोरी करने की पूरी छूट दे दी है। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार इन काले अध्यादेशों को वापस नहीं लेती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।

error: Content is protected !!