बार एसोसिएशन विवाद अब सडक़ों पर आने के कगार पर, चुनाव अधिकारी पर मनमानी और गुमराह करने का आरोप

— दो दर्जन अधिवक्ता चुनाव अधिकारी के खिलाफ मीडिया से हुए मुखाबित

नारनौल, (रामचंंद्र सैनी): नारनौल बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी का कार्यकाल बढ़ाने का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। चुनाव अधिकारी पर मनमानी के साथ-साथ शहर के लोगों को व मीडिया को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए इस मामले में अब वकीलों के दो धड़े बन गए हैं। बार के प्रधान व चुनाव अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाने वाले बार एसोसिएशन के प्रधान पद के दो व सचिव पद के उम्मीदवारों, पूर्व प्रधान मनीष वशिष्ठ सहित करीब दो दर्जन अधिवक्ता शनिवार को नारनौल के अपार होटल में मीडिया के सामने मुखातिब हुए। प्रधान पद के उम्मीदवार यशवंत यादव व राजपाल लांबा ने पत्रकारों को बताया कि बार का चुनाव करवाने के लिए नियुक्त किए गए चुनाव अधिकारी ओमप्रकाश यादव अपनी मनमानी करते हुए ना केवल इस पद की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे बल्कि शहर की जनता व मीडिया के लोगों को भी गुमराह कर रहे हैं।

इन दोनों प्रत्याशियों ने कहा कि अभी दो दिन पहले बार के प्रधान अशोक यादव व चुनाव अधिकारी ओमप्रकाश यादव ने मीडिया के माध्यम से आम लोगों के सामने जो तथ्य रखे हैं वो सत्य से परे हैं। यशवंत यादव व राजपाल लांबा ने कहा कि चुनाव अधिकारी बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने बार की बैठक में पारित किए गए प्रस्ताव को बार कौंसिल चंडीगढ़ में भेजा है। इन दोनों  प्रत्याशियों ने कहा कि जब इस मामले में सच्चाई यह है कि अन्य सामाजिक संस्थाओं की भांति बार एसोसिएशन का भी एक संविधान बना हुआ है। जिसके नियमानुसार किसी भी चुनावी बैठक के लिए एक आम बैठक बुलानी होती है। इसके लिए कम से कम पांच दिन पहले बार के सदस्यों को सूचना देनी होती है और उसमें बैठक का एजेंडा स्पष्टï रूप से लिखा होना चाहिए। यादव और लांबा ने कहा कि चुनाव अधिकारी 14 सितंबर को जिस बैठक की बात कर रहे हैं वो केवल ऑनलाइन चुनाव के विषय में निर्णय लेने के लिए एक आवश्यक बैठक थी। इसमें चुनावी बैठक का कोई एजेंडा नहीं था।

प्रत्याशियों ने कहा कि  रही बात राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव द्वारा घोषित 21 लाख रुपए की राशि की जो बार एसोसिएशन के खाते में मई या जून 2020 में जमा हो गई थी। एक सवाल के जवाब में पूर्व प्रधान मनीष वशिष्ठ ने कहा कि पिछले 2 वर्षों में बार एसोसिएशन ने करीब 32 लाख रुपए का सरकारी फंड को खर्च कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकारी फंड को खर्च करने के बाद, उसका उचित उपयोग सर्टिफिकेट उपायुक्त को देना आवश्यक होता है, जिस पर न्यायालय तथा प्रशासन से जुड़े दो सरकारी अधिकारियों के हस्ताक्षर भी आवश्यक होते हैं।

वरिष्ठ धिवक्ता सुरेन्द्र ढि़ल्लो ने कहा कि जब चुनावी आचार संहिता लगने के बाद, मंत्री विधायक किसी सरकारी फंड को खर्च नहीं कर सकते हैं, वही बात बार एसोसिएशन पर लागू होती है। चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी थी, तो यह कार्यकारिणी अधिकारहीन हो गई थी तथा उन्हें बार की राशि को खर्च करने का कोई अधिकार नहीं था।

इस अवसर पर पूर्व उप प्रधान आशीष चौधरी, पूर्व उप प्रधान सुभाष सैनी, महावीर गुर्जर, महेन्द्र खण्डेलवाल, दीपेन्द्र गौड़, कर्ण सिंह हुडिना, मुकेश निर्मल, अजय पाण्डे, रामचन्द्र सैनी, हरीश सैनी, कर्णसिंह सैनी कोजिन्दा, कृष्ण कुमार सैनी, विजय सैनी, मांगे राम सैनी, ललित शर्मा, महेश दीक्षित सहित अन्य अधिवक्ता उपस्थित थे।

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