भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

मुख्यमंत्री आज लाइव थे और उस पर जो स्थिति उनकी दिखाई दी, वह आपके सामने है। 3749 लोगों ने देखा और 1200 ने डिस्लाइक किया और 60 ने पसंद किया। तो यह अपने आप में बताने के लिए बहुत है कि मनोहर सरकार की लोकप्रियता जनता में घट चुकी है। अब प्रश्न यह है कि यह लोकप्रियता सरकार की घटी है या मुख्यमंत्री की?

वैसे तो मुख्यमंत्री कोरोना से उठकर आए थे, उत्साह में काम शुरू किया था और ऐसे में लोग ठीक होने की बधाइयां देते हैं तो इतने डिस्लाइक आने की संभावना तो नजर आ ही नहीं रही थी परंतु आए। यह खुद ही दर्शा देता है कि मुख्यमंत्री अब हरियाणा में अपने संगठन और जनता की पसंद नहीं रह गए हैं।

यह बात हम ही नहीं कह रहे शायद भाजपा आलाकमान इसे पहले ही समझ चुका था, क्योंकि आज अपने वक्तव्य में मुख्यमंत्री ने किसान आंदोलन का जिक्र भी नहीं किया। शायद यह ऊपर से आदेश रहे होंगे कि किसान आंदोलन को सरकार नहीं संभाल पाएगी, प्रदेश अध्यक्ष अपने तरीके से संभालेंगे।

उधर आज गृहमंत्री विज ने पंचकूला में छापा मारकर एडीजीपी आइटी एंड टेलीकॉम अरशिंदर सिंह चावला को सभी कार्यों से मुक्त कर दिया और साथ ही कहा कि सीआइडी पर निर्भरता छोडक़र स्वयं सक्षम रहें।

गौरतलब यह है कि सीआइडी को लेकर पहले भी मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के विवाद खूब प्रेस में आते रहे। वर्तमान में यह वक्तव्य बताता है कि वह टीस अभी भरी नहीं है। अर्थात इस समय सरकार में अनेक स्वतंत्र केंद्र बनते नजर आ रहे हैं, जिनमें मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष तो भाजपा से और दुष्यंत चौटाला जजपा से। अभी गृहमंत्री तो लाठीचार्ज मान नहीं रहे और दिग्विजय ने आज भी लाठी चार्ज की जांच की मांग उठाई। सरकार का यह रूप इसे कहां ले जाएगा, यह अभी राजनैतिक विश्लेषकों की समझ में भी नहीं आ रहा है।

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