16 सितम्बर 2020, किसानों के नाम पर कुछ भाजपाई-संघी दलालों को केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर से मिलाने के बाद हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल के इस बयान पर कि कृषि क्षेत्र के तीन अध्यादेशों पर किसानों की आशंकाए अब दूर हुई और वे इन अध्यादेशों पर संतुष्ट है, पर प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि भाजपाई-संघी दलाल पहले भी किसान विरोधी तीन कृषि अध्यादेशों से संतुष्ट थे और आज भी संतुष्ट है और आगे भी रहेंगे। परन्तु वास्तविक किसान न तो इन अध्यादेशों पर पहले संतुष्ट थे और जब तक मोदी सरकार कानून बनाकर यह सुनिश्चित नही करती है कि घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम भाव पर किसान फसले खरीदना कानूनी अपराध होगा, तब तक संतुष्ट भी नही होने वाला है। एक ओर हरियाणा भाजपा-जजपा सरकार पुलिस लाठियों के बल पर किसानों की आवाज दबा रही है, उन पर झूठे केस लाद रही है। वहीं संघी दलालों को किसान प्रतिनिधि बताकर किसानों के जले पर नमक छिड़कने का काम कर रहे है। विद्रोही ने कहा कि किसानों को संतुष्ट करने का दावा करने वाले गपोडे संघी पहले अपने गठबंधन सहयोगी अकाली दल को तो इन अध्यादेशों पर संतुष्ट कर ले? वहीं केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर ने नया क्या कहा, वे तो पहले ही दिन से इन अध्यादेशों को किसान हितैषी बताकर इन पर सवाल उठाने वालों को कांग्रेसी करारे दे रहे है। जब सरकार इन अध्यादेशों में कुछ परिवर्तन करने, इन्हे वापिस लेने को तैयार नही है तो फिर कोई वास्तविक किसान या किसान हितैषी संगठन कैसे संतुष्ट हो सकता है? मंगलवार को ही मोदी सरकार ने लोकसभा में अपने अपार बहुमत के बल पर कांग्रेस व विपक्ष के विरोध को अनसुना करके इन अध्यादेशों में एक को आवश्यक वस्तु अधिनियम 2020 के रूप में कानून बनाकर भी पास कर दिया। सवाल उठता है कि कृषि मंत्री से मिले कथित किसानों की राय सरकार ने मानी कब? संघी दलालों की संतुष्टि किसान संतुष्टि बताना ही किसानों के साथ क्रूर मजाक है। विद्रोही ने कहा कि यदि मोदी-भाजपा-संघी सरकार वास्तव में किसान हितैषी है तो चौथा अध्यादेश लाकर यह सुनिश्चित क्यों नही करती कि घोषित समर्थन मूल्य से कम भाव पर किसान फसल खरीदना कानूनी अपराध होगा? Post navigation कोरोना पर किसान अध्यादेश भारी, भाजपा-कांग्रेस में फंसे किसान किसान अध्यादेश पर भाजपा की आक्रमकता भाजपा पर ही पड़ न जाए भारी