भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

कल पीपली में किसानों पर लाठी बरसाने पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, मंत्री मान रहे थे कि यह गलती हुई है और संवाद से इसका हल निकाला जाएगा लेकिन आज स्थितियां बदली हुई नजर आईं और यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि भाजपा के नेताओं की बात पर कितना विश्वास किया जाए?

गृह मंत्री अनिल विज का कहना है कि पुलिस ने वहां लाठी चार्ज किया ही नहीं, मेरे आदेश नहीं थे। अवांछित तत्वों की यह हरकत है, इसकी जांच की जाएगी। विज साहब, आपकी पुलिस वहां मौजूद थी आपके अनुसार और पुलिस की उपस्थिति में अवांछित तत्व आकर किसानों पर लाठी बरसा गए तो पुलिस वहां क्या तमाशगीर थी? इधर गृह मंत्री ने यह भी कहा कि कोविड-19 के नियमों का पालन सबको करना आवश्यक है, चाहे वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का। विचारनीय बात यह है कि इस सबमें सत्ता पक्ष और विपक्ष कहने की आवश्यकता क्यों पड़ी?

इधर प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ कल यह मान रहे थे कि किसानों पर लाठीचार्ज हुआ, वह उचित नहीं है लेकिन गोहाना में सभा में उन्होंने इसके लिए इशारों ही इशारों में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जिम्मेदार ठहराने का प्रयास किया। आपको स्मरण हो कल ही हमने लिखा था कि भाजपा की ओर से यह कहा जाएगा कि यह आंदोलन कांग्रेस प्रयोजित था और शायद इसकी भूमिका बननी आरंभ हो गई है।

कल जो संवाद की बात हो रही थी, वह आज बदलकर समझाने पर आ गई है। हमने कल भी लिखा था कि यह प्रथम बार है जब भाजपा बैकफुट पर जाकर बचाव कर रही है। शायद आज भाजपा ने निर्णय ले लिया है कि फ्रंटफुट पर लड़ेंगे, जिसका अनुमान इससे होता है कि गृहमंत्री कहते हैं कि पुलिस ने लाठीचार्ज किया ही नहीं, प्रदेश अध्यक्ष किसान आंदोलन को नासमझी और कांग्रेस के समर्थन की ओर इशारा कर रहे हैं। कमेटी गठित कर दी गई है। अब यह देखने की उत्सुकता रहेगी कि कल भाजपा के विभिन्न नेता किस रूप में निकलकर आएंगे। वैसे अभी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का तो कोई ब्यान आया ही नहीं है क्यों, शायद कोई नीति है।

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