पंचकूला  1 सितम्बर – हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डा. दिनेश कुमार शास्त्री ने बताया कि संस्कृत भाषा को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। सरकार का प्रयास है कि संस्कार, संस्कृति एवं चरित्र देश का अग्रणी राज्य बने, इसके लिए संस्कृत का पठन पाठन जरूरी है।

निदेशक ने कहा कि अकादमी के माध्यम से प्रदेश में संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए अनेक योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। गत दो वर्ष में सरकार ने देश का 11वां संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल में स्थापित किया है। इसके अलावा प्रदेश के संस्कृत विद्वानों को समय समय पर सम्मानित किया है।

 उन्होंने राष्टÑपति सम्मान प्राप्त डा. रामदत्त शर्मा को उनके निजी निवास पर जाकर शॉल भेंट कर सम्मानित किया और उनका कुशलक्षेम पूछा। उन्होंने बताया कि डा. रामदत्त शर्मा ने अपने जीवन में संस्कृत विषय में 52 पुस्तकें लिखी। गत दिनों उनकी नेत्र ’योति चली गई। इसके बाद भी उनका लेखन कार्य चलता रहा तथा संस्कृत की 20 ओर पुस्तकें लिखी। ऐसे संस्कृत प्रेमियों पर अकादमी ही नहीं बल्कि प्रदेश को गौरव है। इसके अलावा हरियाणा संस्कृत साहित्य का इतिहास सर्वप्रभम उनके द्वारा लिखा गया जिसे अब प्रकाशित करवाया गया।

संस्कृत के क्षेत्र में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान हरियाणा गौरव वर्ष 2013, महर्षि वाल्मीकि सम्मान वर्ष 2006 दिए गए है। निदेशक ने कहा कि अकादमी सदेव ऐसे विद्वानों को सम्मानित करती रहेगी जिन्होंने पूरी उम्र संस्कृत लेखन का कार्य किया।

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