चंडीगढ़,23 अगस्त।बर्खास्त पीटीआई ने अपने मारे गए 38 साथियों की विधवाओं को दिए वचन को निभाते हुए अभूतपूर्व एकता का परिचय दिया। बर्खास्त पीटीआई ने नई भर्ती के लिए कर्मचारी चयन आयोग द्वारा रखें गए टेस्ट का पूर्ण रुप से बहिष्कार किया। शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति ने दावा किया है कि तमाम तिकड़मों के बावजूद सरकार 1762 बर्खास्त पीटीआई में से करीब 12 पीटीआई से ही रविवार को परीक्षा दिलवाने में कामयाब रही है। समिति का आरोप है कि सरकार ने जानबूझ कर इतना कठिन पेपर बनाया हुआ था की पीएचडी व नैट पास अभ्यर्थी भी पास नही कर सकते हैं। जिन पीटीआई ने पेपर दिया है,अब वह भी बुरी तरह परेशान हैं, क्योंकि वह इसमें पास नही हो सकते हैं। 

शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति के प्रधान धर्मेंद्र पहलवान, वरिष्ठ उपाध्यक्ष वजीर सिंह गागौली व शौर्य चक्र विजेता दिलबाग जाखड़ ने ने बताया कि अब बर्खास्त पीटीआई ने टेस्ट का बहिष्कार करने के बाद आंदोलन तेज करते हुए जनता की अदालत में जाने का फैसला किया है। इस अभियान में नौकरी बहाली के साथ साथ सरकार की नीतियों की पोल खोलने के लिए अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि आंदोलन के लिए गए निर्णयानुसार बर्खास्त पीटीआई सभी गांवों, शहरों एवं कस्बों में जन सभाओं का आयोजन किया जाएगा। जिसकी शुरुआत बरोदा विधानसभा हलके से की जाएगी। इस पोल खोल अभियान में  प्रदेश के सभी कर्मचारी, मजदूर, किसानों, नौजवानों, छात्रों व महिला संगठनों से सहयोग एवं समर्थन लिया जाएगा। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि दो महीने लंबे संघर्ष के बावजूद बर्खास्त पीटीआई के हौंसले बुलंद हैं और वह अब अपनी नौकरी बहाली को लेकर लंबी एवं निर्णायक लड़ाई लड़ने के लिए पुरी तरह तैयार है।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने धोषित आंदोलन का किया समर्थन

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी और हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रधान सीएन भारती व महासचिव जग रोशन ने पीटीआई के पोल खोल अभियान का पुरजोर समर्थन किया है। उन्होंने सरकार से बातचीत की हठधर्मिता को त्यागकर बातचीत के जरिए बर्खास्त पीटीआई की सेवा बहाल करने के सभी विकल्पों पर गंभीरता से विचार-विमर्श करने की मांग की है। प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि 38 पीटीआई पिछले दस सालों में अकाल मृत्यु का शिकार हुए हैं। सरकार ने उनको मिलने वाली मासिक वित्तीय सहायता भी बंद कर दी है। रविवार को हुई परीक्षा भी वह दे नही सकती थी। इसलिए उनके और 25 विधवाओं के सामने तो भारी आर्थिक संकट पैदा हो गया है और उनके सामने दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। लेकिन दो महीने के आंदोलन के बावजूद सत्ता के नशें में चूर सरकार गंभीरता के साथ बर्खास्त पीटीआई की कमेटी से बातचीत तक करने को तैयार नहीं है।

उन्होंने सभी विपक्षी दलों से 26 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में इस मामले को जोर-शोर से उठाने की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि अब पीटीआई का आंदोलन जन आंदोलन बन गया है और सभी प्रकार के तबकों का समर्थन मिल रहा ह

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