मोदी की धोनी की तारीफ के मायने ?

-कमलेश भारतीय

धोनी ऐसे क्रिकेटर रहे जिनके प्रशंसकों की गिनती नहीं । ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी दिल खोल कर तारीफ करें तो कोई सवाल नहीं होना चाहिए । पर धोनी की रिटायरमेंट के बाद जिस तरह से पहले भोजपुरी गायक और दिल्ली से भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने धोनी को भाजपा में आने के संकेत दिए उसके बाद प्रधानमंत्री द्वारा धोनी की तारीफ के क्या मायने हैं ,यह सवाल सहज ही मन में उठता है ।

सभी जानते हैं कि जब कांग्रेस केंद्र में सत्ता में थी तब युवराज राहुल गांधी मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में खासतौर पर सचिन तेंदुलकर का मैच देखने गये थे और बाद में राज्यसभा में ले आए थे । इसके बावजूद सचिन तेंदुलकर ने कांग्रेस द्वारा चुनाव में पार्टी के पक्ष में प्रचार करने से साफ इंकार कर दिया था और राज्यसभा में भी मुश्किल से कुछ दिन ही गये थे । इस बात की काफी आलोचना भी होती रही । कांग्रेस को सचिन को राज्यसभा ले जाने से कोई फायदा नहीं हुआ । धोनी किस तरह से इस तारीफ को लेंगे ? क्या वे इस मायाजाल में फंस जायेंगे ?

बेशक धोनी ने अनेक बार विपरीत परिस्थितियों में भी अपने अप्रत्याशित खेल से जीत दिलाई और इसीलिए इनके बारे में कहा जाता था कि अनहोनी को होनी कर दे , उसे कहते हैं धोनी । कैप्टन कूल ने मैदान पर बहुत कम धैर्य खोया और मुस्कुरा कर परिस्थिति का सामना करना का मंत्र युवाओं को दिया । कैसे एक छोटे से परिवार का युवक क्रिकेट के शिखर पर पहुंच गया? यह सारी यात्रा सीखने वाली बात है नयी पीढ़ी के लिए ।

धोनी ने विज्ञापन भी किये और करोड़ों करोड़ों रूपये क्रिकेट के मैदान के बाहर भी कमाये लेकिन जब देश को जरूरत पड़ी तो इतनी मेहनत से कमाये पैसे देश को अर्पित करने में देर नहीं लगाई । बहुत कुछ सीखने वाला है लेकिन आज वे इसलिए हरमन प्यारे हैं क्योंकि किसी भी राजनीतिक पार्टी से जुड़े नहीं हैं । यह उनका फैसला होगा कि वे क्रिकेट के मैदान में ही किसी न किसी रूप से जुड़े रहना पसंद करेंगे या फिर गौतम गंभीर की राह पर चलेंगे ? या चेतन चौहान की राह चलेंगे ? क्रिकेट में बहुत कुछ बाकी है । राजनीति के अलावा बहुत तरीकों से वे पहले ही देशसेवा में लगे हैं । फिर चाहे सेना में जाकर प्रशिक्षण प्राप्त करना ही क्यों न हो ? खैर । एक गरिमामयी विदाई तो बनती है न ?

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