इस गणेश चतुर्थी पर मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं की पूजा करेंअपने घरों में ही सुरक्षित रहते हुए इनका विसर्जन करेंगणेश चतुर्थी : राजस्थानी मूर्तिकार ने मिट्टी से तैयार की पर्यावरण के अनुकूल गणेश प्रतिमाएं पंचकूला। गणेश चतुर्थी उत्सव पर इस बार कोविड-19 संकट के चलते, मूर्तिकार इको-फ्रेंडली और मिट्टी से निर्मित गणेश की मूर्तियां लेकर आ रहे हैं। गणेश चतुर्थी का त्यौहार इस महीने 22 अगस्त को मनाया जाना है। इस बार त्यौहार मनाने के लिए मूर्ति निर्माताओं ने प्लास्टर आॅफ पेरिस से तैयार होने वाली विशाल गणपति मूर्तियां नहीं बनाने का फैसला किया है, क्योंकि उनसे पर्यावरण संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। राजस्थान के निवासी और जÞीरकपुर-अंबाला रोड पर मूर्तियां बनाने की वर्कशॉप चलाने वाले फूल चंद चारण कहते हैं, ‘हम केवल शुद्ध मिट्टी की गणपति प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं। इसके लिए लॉकडाउन लागू होने से पहले ही हरिद्वार में गंगा तट से मिट्टी मंगवा ली गयी थी। यह पवित्र तो है ही, साथ ही विसर्जन करने पर यह आसानी से पानी में घुल जाती है। इस मिट्टी से तैयार मूर्ति एक घंटे के भीतर विघटित हो जाती है और बाद में इसकी मिट्टी का उपयोग बागवानी और फूलों के गमलों में डालने के लिए किया जा सकता है। कोविड-19 के प्रतिबंधों के कारण मिट्टी के गणेश का चलन शुरू हुआ, क्योंकि वायरस से बचाव के लिए विसर्जन हेतु लोगों को एक स्थान पर एकत्रित होने की मनाही है। मिट्टी की मूर्तियों को भक्तगण अपने घरों में ही सुरक्षित रहते हुए आसानी से विसर्जित कर सकते हैं। मिट्टी की गणेश मूर्तियों को घर में पानी से भरे एक छोटे से टब में ही विसर्जित किया जा सकता है। फूल चंद कहते हैं, ‘यही कारण है कि हमने मूर्तियों की ऊंचाई तीन फीट से अधिक नहीं रखने और केवल मिट्टी की मूर्तियां तैयार करने का फैसला किया है। यह भी है कि कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण अब अनेक ग्राहक खुद ही मिट्टी से बनी मूर्तियों की मांग करने लगे हैं। ‘ गणेश उत्सव की तैयारी पहले ही शुरू हो चुकी है और 22 अगस्त को गणेश चतुर्थी उत्सव का समापन होगा। फूल चंद के अनुसार, पिछले साल यह त्योहार जुलाई में था और उन्हें पहले से ही एक हजार से अधिक आॅर्डर मिल गये थे। लेकिन इस साल महामारी के कारण पिछले साल जैसे आॅर्डर नहीं मिल पाये हैं। इस बार, फूल चंद और उनकी आठ कारीगरों की टीम एक फीट, दो फीट और ढाई फीट ऊंचाई की 1300 से अधिक गणेश प्रतिमाएं तैयार की हैं। सुंदर मूर्तियां जटिल कारीगरी का नमूना हैं और इनकी कीमत भी रु. 200 से रु. 2000 के बीच ही रखी गयी है। Post navigation पंचकूला: कारोना का कहर बढा, 110 नए कोरोना संक्रमित मरीज मिले देश में संचार क्रांति राजीव गांधी की ही देन हैः विधायक प्रदीप चौधरी