कोरोना काल में स्वास्थ्य का हवाला दे चेयरमैन को हटाया
मनोहर सरकार ने आज तक नहीं की सदस्यों की नियुक्ति
विधवाओं व आश्रितों को भी नही मिल रहे भत्ते व सुविधाएं

चंडीगढ़। कोरोना के कारण पैदा हुए वित्तीय संकट का असर हरियाणा के स्वतंत्रता सेनानियों व उनके आश्रितों को भी झेलना पड़ रहा है। हरियाणा सरकार के बेरूखी का आलम यह है कि जहां कोरोना काल में स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति के चेयरमैन को पद मुक्त कर दिया गया है। स्वतंत्रता सेनानियों व उनके आश्रितों को मिलने वाली पेंशन भी बंद है। देश में आजादी की लड़ाई में हरियाणा की भूमिका सबसे अहम रही है। देश की आजादी की लड़ाई में प्रदेश के 5 हजार सेभी अधिक स्वतंत्रता सेनानियों ने भाग लिया था। वही हरियाणा से जंगे आजादी तथा नेता जी सुभाष चंद्र बोस की फौज के माध्यम से लडने वाले करीब चार हजार स्वतंत्रता सैनानी चिन्हित हुए थे। जिन्हें केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकार द्वारा भी 25 हजार रुपए मासिक पेंशन दी जाती है। जिन्हे हरियाणा राज्य कोषपाल अक्षय पूण्य निधि कार्यालय मनीमाजरा से पैन्शन मिलती है।

वर्तमान में हरियाणा में 18 स्वतंत्रता सेनानी जीवित हैं,जबकि स्वतंत्रता सेनानियों की 422 विधवाएं तथा 34 आश्रित राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली पेंशन व अन्य भत्तों के हकदार हैं। सूत्रों के अनुसार स्वतंत्रता सेनानियों को मासिक पेंशन के अलावा एक मुश्त दांतों व आंखों की जांच के नाम स्थाई रूप से मेडिकल भत्ता भी दिया जाता है। हरियाणा की मनोहर सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान ललिता राम नामक स्वतंत्रता सेनानी को स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति का चेयरमैन तो लगाया लेकिन समिति के सदस्यों की नियुक्ति नही की।

हरियाणा सरकार ने कोरोना के चलते मई माह के दौरान समिति के चेयरमैन को पद मुक्त कर दिया। तब से लेकर अब तक स्वतंत्रता सेनानियों, उनकी विधवाओं तथा आश्रितों को पेंशन नहीं मिली है। यही नहीं स्वतंत्रता सेनानियों की पोतियों की शादी में सरकार द्वारा दी जाने वाली कन्यादान राशि भी छह माह से जारी नहीं की गई है।

स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति का कार्यालय बंद

सयुंक्त पंजाब से व 1966 हरियाणा बनने के बाद से हरियाणा स्वतंत्रता सैनानियों के सम्मान में स्वतंत्रता सेनानी समान समिति चली आ रही थी। चंडीगढ़ के सैक्टर-एक स्थित प्रदेश सिविल सचिवालय की पांचवी फ्लौर पर स्वतंत्रता सैनानी सम्मान समिति का कार्यालय था। इस कार्यालय में सरकार द्वारा नियुक्त किए जाने वाले चेयरमैन व उनका स्टाफ बैठता था। पहले स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिजनों के सभी मामलों की सुनवाई यही पर होती थी। मई माह के दौरान चेयरमैन की छुट्टी होने के बाद अब सरकार ने इस कार्यालय को भी बंद कर दिया है। अब समिति के कार्यालय में हरियाणा सरकार का स्कैनिंग विभाग काम कर रहा है। यहां मशीनें लगाकर सरकारी दस्तावेजों को स्कैन किया जाता है।

नौकरियों में आरक्षण का नही मिल लाभ

देश को आजादी दिलवाने वाले हरियाणा प्रदेश में स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है, कहने को तो 2 प्रतिशत आरक्षण मगर यह आरक्षण पहले भूतपूर्व सैनिक, उनके आश्रितो व दिव्यांग को दिया जाता है। उसके बाद यदि कोई खाली सीट बचती है तो फिर स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को मिलता है। आज तक के इतिहास में हरियाणा में पिछली व मौजूदा भाजपा सरकार में किसी भी स्वतंत्रता सैनिक के परिजन को रोजगार नहीं मिला है। जबकी पड़ोसी राज्यों में पंजाब, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश गोवा, झारखंड, उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश में स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को नौकरियों में 2 प्रतिशत आरक्षण है। मगर हरियाणा में नहीं जिसको लेकर स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों में प्रदेश सरकार के प्रति रोष है। देश में भाजपा शासित प्रदेशों में भी स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को नौकरियों में 2 प्रतिशत आरक्षण है।

 उत्तराखंड में स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को कुटुंब पेंशन योजना भी शुरू की है। क्योंकि स्वतंत्रता सेनानी व उसकी पत्नी के निधन के बाद स्वतंत्रता सेनानी परिजनों को कोई भी वित्तीय सहायता नहीं मिलती। हरियाणा सरकार ने सरपंचों, भूतपूर्व सरपंच, नगर पार्षद, नंबरदार, पंच व सरपंचो को भी पेंशन दी जा रही है। मगर देश की आजादी के दिलवाने वाले परिजनों को मात्र 100 महीना मानदेय भी नहीं मिल रहा। संयुक्त पंजाब के समय से चली आ रही हरियाणा स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति चंडीगढ़ को मौजूदा सरकार ने बंद कर दिया है। हरियाणा स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संघ के सदस्य ओमप्रकाश ढांडा, सुरेंद्र डूडी, मास्टर सुरेंद्र जागलान, कर्म सिंह नरड़ व दयानंद यादव ने हरियाणा सरकार से हरियाणा स्वतंत्रता सेनानी समिति को बहाल करने की मांग की है। स्वतंत्रता सेनानी परिजनों को नौकरियों में 2 प्रतिशत खुला आरक्षण व उत्तराखंड की तर्ज पर कुटुंब पेंशन की मांग की है।