गुरुग्राम, गुरुग्राम की जनता को मूलभूत आधुनिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए जीएमडीए का गठन 2018 में हुआ था जिसका श्रेय तो स्थानीय सांसद व केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत बार बार अपने भाषणों में जिक्र करके लेते रहते हैं , लेकिन इस विभाग के चैयरमैन हरियाणा के मुख्यमंत्री स्वयं है बावजूद इसके जीएमडीए द्वारा किए जा रहे कार्यों में अनियमितताओं की भरमार है और बार बार जनता की आवाज को अनसुना कर दिया जाता है l

पिछले वर्ष ये भी आवाज उठी थी कि इस विभाग में ज्यादातर वृद्ध लोगों को नौकरी पर रखा हुआ है जबकि देश के नौजवानों के पास रोजगार नहीं है l कोरोना के दौरान सरकार द्वारा बनाया नियम कि 60 वर्ष के लोगों को घर से बाहर न निकलें इस विभाग पर लागू नहीं होता शायद , खैर अभी इस विषय पर बाद में चर्चा करेंगे हालिया मुद्दा है अनियमिततएं जिसके कारण जनता की गाढ़ी कमाई बन रही हैं, जीएमडीए के अफसरों के लिए मलाई l

गौर करें कि प्रधानमंत्री ने 2014 में देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने का संकल्प लिया था l जिसकी सूची में गुरुग्राम का नाम नहीं था लेकिन हरियाणा सरकार ने निर्णय लिया कि प्रदेश के खर्च से गुरुग्राम को भी स्मार्ट सिटी बनाया जाएगा जिसका जिम्मा सरकार ने जीएमडीए को दिया l वर्ष 2018 में कार्य शुरू किया जिसके तहत गुरुग्राम में फाइबर केबल बिछा कर मुख्य चौरोहो पर कैमरे लगाना व इन कैमरों को इंटेग्रेटेड कंट्रोल एवं कमांड सेंटर से जोड़ना, सभी सरकारी इमारतों में WiFi सुविधा देना व पानी के स्मार्ट मीटर लगाना l

आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिकारियों ने इंटेग्रेटेड कंट्रोल एवं कमांड सेंटर का कार्य सभी नियम ताक पर रखकर एक आर्थिक डिफाल्टर कम्पनी आईआईएंडएलएफएस को दिया जिस पर 62 करोड़ रुपए खर्च हुए तथा कैमरे लगाने का कार्य करीब 50 करोड़ रुपए में एक जापानी कंपनी एनईसी को दिया जिसके अन्तर्गत 1200 कैमरे एक वर्ष में लगाने थे और एक वर्ष से ज्यादा का समय बीत गया केवल 400 कैमरे लगे हैं यानि एक तिहाई जो कि गुणवत्ता जांच मानक पूरे न होने के कारण ज्यादातर खराब रहते हैं l इसी प्रकार विभाग की अन्य घोषित योजनाएं जैसे WiFi व स्मार्ट पानी के मीटर तो अभी शुरू भी नहीं हुए l

इसी तरह फाइबर केबल के कार्य को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का नाम देकर आरओडब्लयू के सरकारी राजस्व को 100 करोड़ की चपत लगाई गई है l

इस विभाग की कार्यशैली की शिकायत मुख्यमंत्री व गृहमंत्री तक की जा चुकी है लेकिन अभी तक कोई जांच का कदम नहीं उठाया गया है l इसका कारण शायद ये भी हो सकता है कि इस विभाग के चैयरमैन स्वयं मुख्यमंत्री हैं और पुरानी कहावत है कि दिए तले तो अंधेरा होता ही है l

हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर बार बार अपने भाषणों में बोलते हैं कि भ्रष्टाचार के लिए ज़ीरो टॉलरेंस की कार्यशैली रखते हैं क्या मुख्यमंत्री जी जीएमडीए आपके कार्यक्षेत्र में नहीं आता , राव इंद्रजीत जी जब आप दो वर्ष बाद अपने लिए वोट मांगेंगे तो गुरुग्राम जनता आपसे पूछेगी कि उनकी गाढ़ी कमाई के टैक्स को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना दिखाकर चूना लगाया जा रहा था तो आपने इस भ्रष्टाचार को अंकुश लगाने के लिए क्या किया? क्या गुरुग्राम की जनता का यही नसीब है कि कभी इकोग्रीन तो कभी स्मार्ट सिटी के नाम पर लूट बर्दाश्त करते रहें

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