हर्षोल्लास के साथ मनाया गया रक्षाबंधन पर्व, बहनों ने बांधी भाईयों की कलाई पर रेशम की ड़ोर तो भाईयों ने दिया बहन की रक्षा करने का वचन

पुन्हाना, कृष्ण आर्य

रेशम की कच्ची ड़ोरी के जरिये भाई-बहन के प्यार को हमेशा-हमेशा के लिए संजोकर रखने वाला रक्षाबंधन पर्व हिन्दू धर्म के बडे त्यौहारों में से एक है, जिसे पुरातन काल से हीं मनाया जाता है। रक्षाबंधन पर्व हर साल श्रावण (सावन) माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। सोमवार  को रक्षाबंधन पर्व बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। भाई-बहन के अटूट रिश्ते, बेइंतहा प्यार, त्याग और समर्पण को दर्शाने वाले इस पर्व पर बहनो ने अपने भाईयों की कलाई पर राखी व रक्षासूत्र बांधकर भाई की लंबी आयु और उसके जीवन की मंगल कामना की तो भाईयों ने बहनो को इस प्यार के बदले भेंट व उपहार देकर हमेशा उनकी रक्षा करने का वचन दिया। पर्व के अवसर पर बहनो व रिश्तेदारों का आवागमन रहा। बाजारों में भी पर्व पर काफी अच्छी रौनक रहीं। दुकानदारों ने दुकानों को तरह तरह से सजाया हुआ था। मिष्ठान विक्रेताओं ने भी पर्व के मौके पर जमकर चांदी कूटी।आज मौसम खुशनुमा हो जाने के बाद युवाओं ने पंतगबाजी में पूरा आन्नद लिया।

 सुबह पूजा करने के बाद दूर दराज से बहने अपने भाईयों के घर पहुंचने लगी। भाईयों को बहन से राखी बंधवाने के लिए बेसब्री से इंतजार करते दिखे। छोटे नन्हे भाई बहन भी राखी बांधकर पूरी खुशिया मना रहे थे। इस बार मार्केट में चाईनीज राखियों का भरपूर विरोध रहा तो लोग साधारण और स्वदेशी राखियां बांधकर काफी उत्साहित दिखे। पूरे दिन रक्षाबंधन पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।भाई बहन के अटूूट बंधन और असीमित प्रेम का प्रतीक इस पर्व महिमा है कि भाई बहन को हमेशा हमेशा के लिए स्नेह के धागे से बांध लेती है। रक्षाबंधन को सलोनो के नाम से भी जाना जाता है।

मिष्ठान विके्रताओं ने इस पर्व पर भी जमकर चांदी कूटी। लोगों द्वारा पिछले दो तीन दिन से मिठाईयों की जमकर खरीददारी की गई तो मिठाई विक्रेताओं ने खूब महंगे दामों में मिठाईयों के साथ साथ मिठाईयों के डि़ब्बे भी मिठाईयों के भाव में बेचे। क्योंकि ऐसे में उन्हें कोई  आम जन तो क्या प्रशासन भी रोकने टोकने वाला नहीं होता। हालांकि रक्षाबंधन पर्व पर दर्जनों की संख्या में खुले मिष्ठान विक्रेताओं ने मिठाई के वजन में ऐसे डिब्बे तोलने का काम पहली बार नहीं किया बल्कि दीवाली, होली, ईद कोई भी त्यौंहार हो, सभी त्यौहारों पर ऐसे हीं बिक्री की जाती है। ऐसे दुकानदार प्रशासन से कतई भी खौफ नहीं मानते है।

परिवहन साधनों कमी का करना पड़ा सामना:

पर्व के अवसर पर दूर दराज से भाईयों के रक्षासूत्र बांधने पहुंची महिलाओं को परिवहन साधनो की परेशानी इस बार भी सहनी पड़ी। साधनों के अभाव में बहनों को इन मार्गो पर चलने वाले उन्हीें निजि वाहनो पर निर्भर रहना  पड़ा, जिनमें यात्रियों को ठूंस ठूंस कर भरा जाता है। बहरहाल इस पर्व पर महिलाओं को परिवहन साधनो की भारी परेशानियों को सामना करना पड़ा।  

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