तरविंदर सैनी (माईकल ) पहली बार उम्मीदवार बने नए वजूद में आए एक दल एल.एस.पी. से जो आज जनता की आवाज को पुरज़ोर तरीकों से उठाते आ रहे हैं मगर कहाँ हैं वो पूंजीपति नेता जो गुरुग्राम की जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के वायदे कर रहे थे , कहाँ है एसवाईएल पर बवाल मचाए रखने वाले पुराने राजनैतिक दलों के नेता , कहाँ लुप्त हो गए आम आदमी की बात करने वाले और युवा जोश वाली पार्टियों के उम्मीदवार ? 

कहाँ गए प्रमुख विपक्षीदल के नुमाइंदे सुखबीर कटारिया जिन्हें शहर की जनता ने चुनकर खेल, कृषि मंत्री तक बनने का अवसर दिया और आज वह अपनी जनता के हितों की आवाज़ उठाने की बजाय मौन धारण किए हुए बैठे हैं ? क्यों कोई बयान नहीं दे रहे भाजपा सरकार के खिलाफ , क्या भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष से उनकी रिस्तेदारी होने के चलते चुप्पी साध रखी हैं ?

 हुड्डा साहब से नजदीकियां उनके गीत गाने से गुरुग्राम के शहरवासियों की समस्याओं का निदान नहीं होगा समाधान निकलेगा उनके मुद्दों को सरकार के समक्ष रखने से जनविरोधी नीतियों का खुलकर विरोध करने से सरकार को बाध्य करने से मगर पूर्वमंत्री जी एक भी शब्द नहीं निकाल पा रहे हैं सरकार के खिलाफ , भाजपा से ताज़ा बनें सम्बन्धों की निजता निभाना अलग बात हैं परन्तु शहर की जनता कहाँ जाए ?

दूसरे नंम्बर की पार्टी कोंग्रेस देश में तो दिखाई देती है मगर गुरुग्राम में कहीं नहीं दिखती   गाहे-बगाहे कोई भाजपाई नेता ही तो आवाज़ उठाता हुआ नजर आता है जब्कि कोंग्रेस की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आती !सांसद का चुनाव लड़ने वाले कैप्टन अजय सिंह जिन्हें जनता से वोटें मिली उनकी उदासीनता के कारणों को लोग देख-समझने की कोशिशें कर रहे और कयास भी लगा रहे हैं कि उनकी तो रिस्तेदारी और विवषता भी नहीं ?

आई.एम.आर.सी. नियमों को जनता पर तो सख्ती से लागू कर रहे हैं अधिकारी परन्तु स्वम् उन्हीं नियमों का उलंघन कर रहे हैं लोकडाउन के लागू होने के बाद से निरंतर आमजन को लूटा जा रहा है ,उन्हें इलाज़ व दवाइयाँ नहीं मिल रही , सैनेटाइजेशन नहीं हो पा रहा है अव्यवस्थाएं फैली हुई हैं , सरकारी अस्पतालों से मरीजों को रेफर कर दिया जा रहा है , प्राइवेट एम्बुलेंस का जमावड़ा लगा है और सरकारी नदारद हैं , अवैध निर्माण धड़ल्ले से चल रहे हैं मिलीभगत से , ग़रीब मजदूरों को राशन सुविधा देना तो दूर की बात है उनके नाजायज चालान काटे जा रहे हैं , ट्रांसपोर्ट सुविधाएँ नहीं , प्राइवेट स्कूलों के दबाव में अभिभावक पीस रहे हैं मजबूर हो गए हैं उनकी ईस लाचारी और परेशानी के समय पर भी कोई बयान नहीं , भृस्टाचार चरम सीमा पर है नगर निगम से लेकर जी.एम.डी.ए. हो याँ तहसीलदारों रजिस्ट्रियों में धांधली का ताजा मामला हो कोंग्रेस कहीं दिखाई नहीं दे रही !

सिर्फ चुनाव के समय ही सक्रिय भूमिका निभाने आते हैं ? कोंग्रेस वालों जैसे ईस संकटकाल में जनता की नजरों से ओझल हो रहे हो याद रखना यही जनता समय आने पर तुम्हें भी भुला देगी और भूल जाएगी कि यह पार्टी कभी वजूद में भी थी और सबक सिखाएगी उनको भी जिन्हें जनता के हितों से अधिक नए बने सम्बन्धों और रिस्तेदारी की चिंता है ।

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