क्रीमीलेयर में वेतन और कृषि आय को आमदनी में जोडऩा पिछड़ों के हकों पर कुठाराघात है: योगेंद्र योगी

भिवानी/शशी कौशिक.

 जिस प्रकार से भाजपा सरकार पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को कमजोर कर रही है वो बहुत ही निंदनीय है। पहले हरियाणा प्रदेश में भाजपा ने क्रीमीलेयर लागू कर के हजारों विद्यार्थियों को दाखिले से वंचित कर दिया अब इसी तर्ज पर केंद्र में इनके हकों को कुचलने की तैयारी में है।  यह आरोप लगाया है हरियाणा केश कला एवं कौशल विकास बोर्ड के पूर्व चेयरमैन एवं ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय सचिव योगेंद्र योगी ने।

उन्होने कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने वाह वाही लूटने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के ढोल पीटे, जबकि इनकी हकीकत धीरे धीरे  सामने आ रही है । आयोग के पास सवैंधानिक दर्जा होने के बावजूद सरकार का क्रीमीलेयर के लिए अलग से बीपी शर्मा कमेटी बनाकर रिपोर्ट मांगना इनकी पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को निष्क्रिय करना दर्शाता है।

योगेंद्र योगी ने कहा कि मंडल कमीशन लागू होने के बाद आज तक भी ओबीसी को पूरे अधिकार नहीं दिए गए हैं, न ही नौकरियों में 27% आरक्षण को लागू किया है, न पंचायतों में, न राजनीतिक तौर पर। उन्होने आगे कहा कि मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में सरकारों के पूरा आरक्षण देने के बाद भी कोर्टों में ले जाकर रुकवाने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले दिनों ही छपी खबर के माध्यम से पता चला कि मेडिकल एजुकेशन में 3 वर्षों में ओबीसी की लगभग 11000 सीटें खत्म कर दी गई, जो सरकार की इस वर्ग के आरक्षण को ही खत्म कर देने की साजिश है।

योगी ने बताया कि इंदिरा साहनी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के नौ जजों की संवैधानिक पीठ के फैसले के मुताबिक उस समय केंद्र की कांग्रेस सरकार ने 8 सितंबर 1993 को क्रीमीलेयर को परिभाषित करते हुए वेतन व कृषि से प्राप्त आय को वार्षिक आय में शामिल नहीं करने का नोटिफिकेशन जारी किया था। लेकिन अब बीपी शर्मा कमेटी ने वेतन और कृषि आय को वार्षिक आय में शामिल करने की अनुशंसा की है जो संविधान के विरुद्ध है तथा अनुच्छेद 15(4) व 16(4) की उल्लंघना है । इसमें आरक्षण सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ों को दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन मौजूदा कमेटी इसे आर्थिक आधार पर देने की अनुशंसा कर रही है।

इस पर चिंता जाहिर करते हुए योगेंद्र योगी ने कहा कि केंद्र सरकार की इन नीतियों के खिलाफ पिछड़ा वर्ग में गहरा रोष है। उन्होंने पिछड़ा वर्ग आयोग को पत्र लिख कर आरक्षण को पूरी तरह से लागू करने तथा बीपी शर्मा कमेटी की अनुशंसा को निरस्त करने की मांग की है।

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