गुलगुला, सुहाली जैसे परंपरागत पकवान बना मनाई तीज भिवानी। समय बदला, युग बदला मगर त्यौहार मनाने की परंपराएं नहीं बदली। वीरवार को पूरे प्रदेश में तीज का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जहां नवविवाहिताओं की ससुराल से सिंधारा भेजा गया है, वही लड़कियों के मायके से उनके ससुराल में कोथली (मीठे घरेलू पकवान व कपड़ों का बंडल) भेजने का चलन आज भी कायम है। हरियाणा के लोक परंपराओं पर आधारित तीज त्यौहार गांवों के साथ-साथ शहरी इलाकों में भी मनाया गया। भिवानी में महिलाओं ने तीज पर्व मनाकर यह दिखा दिया कि चाहे जमाना कितना हाईटेक हो जाए, मगर परंपराएं व लोक पर्व नहीं बदल सकते। भिवानी में विभिन्न स्थानों पर तीज का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जिसमे सास और बहुओ ने भी खूब मस्ती की। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम व झूले का भी आयोजन किया गया। जहां पर एक तरफ बेटियां इस पर्व का लुफ्त उठा रही थी तो वही सास और बहू भी पीछे नही रही। उन्होंने भी सावन माह के इस तीज पर्व पर खूब मस्ती की। इस मौके पर सास-बहुओं ने एक साथ झूला झूला तो वही डांडिया नृत्य के साथ अनेक फिल्मों के गीतों पर नृत्य भी किया। महिलाओं ने अपने घरों में परंपरागत हरियाणवी पकवान गुलगुला, सुहाली इत्यादि पकवान बनाकर परिजनों व पड़ौसियों को खिलाएं। इस मौके पर महिला लक्ष्मी, शांति व अंजना व युवती पूजा ने बताया कि उन्होंने सामूहिक तीज त्यौहार की खुशियां सांझी की है। उन्होंने कहा कि भले ही लोग शहरों में आ गए हो व संस्कृति बदल रही हो, मगर परंपराएं आज भी वही हैं। उन्होंने कहा कि सास अपनी बहुओं का सिंधारा भेज रही हैं तो लड़कियों की कोथली भी भेजी जा रही है। उन्होंने कहा कि हमे हर त्यौहार पर इस प्रकार के समारोह का आयोजन करते रहना चाहिए। इस प्रकार के आयोजनों से आपसी भाईचार व प्रेम बढ़ता है तथा हमारे बच्चों में अच्छे संस्कार पैदा होते हैं। महिलाओं ने नाच-गाकर त्यौहार मनाया। Post navigation कोरोनाकाल को संगीत योद्धाओं ने हराया क्रीमीलेयर में वेतन और कृषि आय को आमदनी में जोडऩा पिछड़ों के हकों पर कुठाराघात है: योगेंद्र योगी