भिवानी/शशी कौशिक

 मजदूर-किसान विरोधी अध्यादेश, श्रम कानूनों में बदलाव, कान्ट्रेक्ट फार्मिंग, आवश्यक वस्तु अधिनियम, कृृषि व्यापार व बिजली कानून वापिस लेने, सभी के लिए नि:शुल्क ईलाज की व्यवस्था करने, सभी के लिए 6 माह तक प्रति सदस्य 10 किलो अनाज, इनकम टैक्स से बाहर सभी व्यक्तियों के लिए 6 माह तक 7500 रूपयें नकद भुगतान करने, मनरेगा में 200 दिन काम 600 रूपये दिहाड़ी व निर्माण मजदूरों के 90 दिन की तसदीक के लिए मान्यता प्राप्त यूनियनों को अर्थोटी जारी करने की मांग को लेकर 24 जुलाई को देश व प्रदेश में ब्लॉक स्तर पर होने वाले किसान मजदूरों के सयुक्त विरोध प्रदर्शनों में भारी संख्या में मजदूर किसान शामिल होगें।

ब्लॉक स्तर पर होने वाले सयुक्त विरोध प्रदर्शनों की अपने अपने संगठनों के बैनर से तैयारियां की जा रही हैं। इन सयुक्त विरोध प्रदशनों में भारी संख्या में किसान मजदूरों को शामिल होने की अपील की जा रही है।

सीटू जिला सचिव अनिल कुमार व जिला सहसचिव धर्मबीर बामला ने कहा कि करोना कि आड़ में सरकार मेहनतकश वर्ग, मजदूर व किसानों के कानूनों को खत्म करके पूंजीपतियों को लुट की भारी छुट दे रही है। इस कोरोना सकंट की सबसे ज्यादा मार मजदूरों पर पड़ी है जहां एक तरफ करोड़ों मजदूरों को अपने काम धन्धों से हाथ धोना पड़ा हैं वही मालिकों ने लोकड़ाउन के दौरान की मजदूरी का भुगतान भी नही किया। अगर सरकार समय रहते जन विरोधी अध्यादेशो को वापिस नही लेती हैं तो जनता की व्यापक लामबंधी सडक़ों पर दिखाई देगी।

error: Content is protected !!