21 जुलाई 2020. स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने प्रदेश में किसानों के मोदी-भाजपा सरकार के कृषि सम्बन्धित तीन अध्यादेशों के खिलाफ सडकों पर उतरने का जोरदार समर्थन करते हुए कहा कि इन तुगलकी फरमानों से किसान व कृषि उसी तरह बर्बाद हो जायेगी जिस तरह नोटबंदी के तुगलकी फरमान से देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो हुई थी व भारी रोजगार का संकट खड़ा हुआ।

विद्रोही ने कहा कि अब किसान विरोधी मोदी-भाजपा-संघी सरकार ने किसान हित के नाम पर पूंजीपतियों को किसान फसले लुटने व खेती में हस्ताक्षेप बढ़ाने के लिए जो तीन नये अध्यादेश लाये है, यदि वे लागू हो गए तो किसानों की फसले मनमाने ढंग से लूटने व कृषि में पूंजीपतियों का वर्चस्व बढ़ेगा। जब उक्त अध्यादेश आये तब भी इनका विरोध हुआ था, पर कोविड संकट के चलते लोकडाऊन कारण किसान सडक़ों पर इसका विरोध नही कर सके थे। 

विद्रोही ने कहा कि मोदी सरकार ने कोविड व लोकडाऊन का समय इन अध्यादेशों को लाने जान-बूझकर चुना था ताकि किसान इसका सडकों पर विरोध न कर सके व किसान फसल लूट का रास्ता तैयार हो सके। देशभर के किसान मोदी-भाजपा व संघीयों की बदनियती को समझकर अब देशभर में सडक़ों पर उतर चुका है। हरियाणा के किसानों ने चेतावनी दे दी है कि यदि सरकार ने इन तुगलकी अध्यादेशों को वापिस नही लिया तो किसान सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ेगा।

 विद्रोही ने कहा कि इन अध्यादेशों के लागू होने के बाद छोटा किसान, आढ़ती, कृषि तंत्र बर्बाद हो जायेगा और खेती धीरे-धीरे बड़े पूंजीपतियों व बड़े किसानों के चुंगल में आ जायेगी। वस्तुत: सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को ही सुनियोजित ढंग से खत्म करके यह सुनिश्चित करना चाहती है कि किसान हित के नाम पर किसान फसले न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिके, यह व्यवस्था ही खत्म हो जाये। यदि सरकार ईमानदार व किसान हित पर गंभीर होती तो इन अध्यादेशों में यह भी वर्णित करती कि किसान फसले घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर खरीदना अपराध होगा। घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम भाव पर फसल खरीदने वालों को जेल होगी। विद्रोही ने सरकार से मांगी की कि किसान विरोधी इन तुगलकी अध्यादेशों को वापिस लिया जाये।

error: Content is protected !!