राजनीति से हट कर भी गहरे दोस्त रहे हैं मनोहर और धनखड़, संगठन को मजबूत करने के लिए राजनैतिक अभिलाषाएं आड़े नहीं आयेंगी ईश्वर धामु चंडीगढ़। भाजपा आलाकमान ने किसान नेता पूर्व कृषिमंत्री ओम प्रकाश धनखड़ को प्रदेश प्रधान बना कर पार्टी के कई नेताओं को जोर झटका धीरे से दे दिया है। क्योकि बहुतेरे भाजपाई धनखड़ को इस पद के लिए लाइन में ही न होने के कयास लगा रहे थे। वैसे भी मीडिया में जब भी प्रदेश प्रधान के लिए नाम लिए जाते थे तो ओम प्रकाश धनखड़ का नाम सबसे बाद में लिया जाता था। फिर धनखड़ के लिए लो-प्रोफाइल में रहना ही उनका प्लस प्वाईंट बन गया। अब धनखड़ के प्रदेश प्रधान बनने के बाद उनके मुख्यमंत्री के साथ सम्बंधों को लेकर चर्चाएं चल पड़ी। चर्चाकार भी यह सवाल उठाने लगे हैं कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ धनखड़ की पटरी कैसी बैठेगी। क्यो दोनों एक दूसरे के पूरक बन पायेंगे। क्योकि सरकार और संगठन चलाने के लिए पार्टी प्रधान और मुख्यमंत्री में तालमेल होना आवश्यक माना जाता है। परन्तु अब जाट आरक्षण के समय के उदाहरण दिए जाने लगे हैं। इतना ही नहीं कहा यह भी जा रहा है कि अगर ओम प्रकाश धनखड़ जीत जाते तो वें मुख्यमंत्री पद के सशक्त दावेदार होते। इस चर्चा को अगर एक ओर करके अगर राजनैतिक नजरिए से देखा जाए तो मुख्यमंत्री बनना हर बड़े और प्रभावी नेता का सपना होता है। इसके लिए नेता अपने स्तर पर प्रयास भी करता है। लेकिन इस संदर्भ की दूसरा पहलु यह भी है कि मुख्यमंत्री के चयन पर अंतिम स्वीकृति पार्टी आलाकमान की होती है। यह स्थिति तो उस समय आ गई थी, जब पार्टी आलाकमान ने मनोहरलाल को मुख्यमंत्री बना दिया था। लेकिन पर्दे के पीछे का सच कुछ ओर ही है। राजनीति पर पेनी नजरे रखने वाले चर्चाकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल और ओम प्रकाश में बड़ा ही सटीक तालमेल बनेगा। क्योकि एक समय में इन दोनो की जोड़ी चर्चाओं में रही है। घटना उस समय की है जब ओम प्रकाश धनखड़ राष्ट्रीय मंत्री होते थे और मनोहरलाल अन्तोदय प्रकोष्ठ के संयोजक हुआ करते थे। राजनैतिक बलियारों में इनको इकठा देखा जाता था। एक बार ये दोनो पार्टी के एक अधिवेशन में गए। अधिवेशन स्थल पर पहुंच कर पता चला कि केवल आमंत्रित नेताओं के लिए ही प्रवेश है। हर कोई अधिवेशन पंडाल में नहीं पहुंच सकता था। उस समय मनोहरलाल ने एक तरकीब सूझी। उन्होने अपनी तरकीब बारे धनखड़ को बताया तो दोनों ही हंस पड़े। फिर मनोहरलाल आगे होकर चलने लगे और बोलने लगे कि हटा सभी मंत्री जी आ रहे हैं। मंत्री के नाम पर गेट पर खड़े सुरक्षा अधिकारियों ने रोका नहीं और वें दोनो अंदर पहुंच गए। जब दोनो के सम्बंध इस स्तर के रहे हों तो इसके तनीक भी संदेह नहीं है कि एक संगठन को तो दूूसरा सरकार को अपनी ओर खींचें। वैसे भी ओम प्रकाश धनखड़ का स्वभाव सभी को साथ लेकर चलने का है। ऐसे में राजनैतिक महत्वकांक्षाएं अपनी जगह रह जाती हैं। लेकिन ओम प्रकाश धनखड़ को जो संगठन का अनुभव है, वें अपना पूरा अनुभव यंहा लगायेंगे। धनखड़ समर्थक ने तो कहना शुरू कर दिया है कि इस बार मनोहर-धनखड़ की जोड़ी प्रदेश की राजनीति में नई परिभाषा रचेगी Post navigation किसान सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ेगा, कृषि सम्बन्धित तीन अध्यादेशों के खिलाफ : विद्रोही नशे के खिलाफ हरियाणा पुलिस का लगातार तेज होता अभियान