हिसार की डेयरी में 72 घंटों में ही 15 भैंसों की मौत, मौके पर पहुंची लुवास की टीम

हिसार। हिसार में भैंसों के मरने का एक अलग ही तरह का मामला सामने आया है। हिसार के अग्रोहा में नंगथला गांव की एक दुग्‍ध डेयरी में 72 घंटों में ही करीब 15 भैंसों की मौत हो गई। भैंसें भी पूरी तरह से स्‍वस्‍थ थी और ज्‍यादातर दूध देने वाली थी। भैंसों की मौत एक दम और इस तरह से क्‍यों हुई इसे लेकर डेयरी संचालक के अलावा अन्‍य भी हैरत में हैं। वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए लाला लाजपतराय पशु एवं विज्ञान चिकित्‍सालय की टीम जांच के लिए मौके पर पहुंची है।

डेरी फार्म संचालक रणवीर उर्फ भोला ने बताया कि वह करीब 30 सालों से डेरी का काम करते हैं अभी उनकी डेरी में करीब 110 पशु मौजूद थे जिनके मरने का सिलसिला 5 दिन पहले शुरू हुआ था जो अभी तक रुका नहीं रणबीर ने बताया की 5 दिन पहले उनकी एक गाय की मौत हो गई थी लेकिन इतने पशुओं में उसने गाय की मौत पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया उसके बाद में उसकी 2 भैंस और मर गई।
रणबीर ने बताया कि पिछले 3 दिनों में शनिवार से आज तक उसकी कुल 22 भैंसों की मौत हो चुकी है जिनमें शनिवार को 3:00 रविवार को दिन में 5 और रात को 4 और सोमवार सुबह से अभी तक के 6 भैंसों की मौत हुई चुकी है।

मौके पर मौजूद लुवास के डॉक्टर राजेश खुराना डॉक्टर बाबूलाल व डॉ. रमेश सहित अन्य सात आठ कर्मी भैंसों का मृतक भैंसों का पोस्टमार्टम किया चिकित्सक मुताबिक मृत भैंसों का सैंपल ले लिया गया है, जिनकी रिपोर्ट आने में करीब 3 दिन का समय लगेगा तभी कुछ पता लग पाएगा कि इतनी बड़ी संख्या में पशुओं के मरने का क्या कारण था।

डेयरी संचालक रणवीर ने बताया कि वह अपने पशुओं को लगातार पोस्टिक आहार देता है जिसमें चना चूरी हरा चारा मिनरल मिक्सर सहित अन्य पोस्टिक आहार देता रहा है। अभी तक नंगथला में कुल 22 भैंसें मर चुकी हैं। जिनका मरने का सिलसिला लगातार जारी है। हालांकि डॉक्टर की टीम मौके पर मौजूद है। लेकिन कारण समझ से परे है। जब डॉक्टर और उनकी टीम की मौजूदगी में ही एक भैंस और मर गई तो और भी हैरानी हुई।

बता दें कि जनवरी 2019 में ही दो महीनों में ही चरखी दादरी जिले के गांव मेहड़ा में करीब 110 मवेशियों की मौत हो गई थी। दो महीने में बारी बारी कर पशुओं की मौत हाे रही थी मगर ग्रामीण कुछ नहीं कर सके।

शिकायत करने पर पशु चिकित्‍सक भी जांच कर रहे हैं मगर बीमारी का सही से पता नहीं लग सका। ग्रामीण मुआवजे के लिए डीसी के पास भी पहुंचे थे और बताया था कि पशु को बुखार आती है और दो दिन में ही मौत हो जाती है। इसके बाद पशुओं के मरने का सिलसिला तो खत्‍म हो गया मगर बीमारी के बारे में सही से पता नहीं लग सका। अब इसी तरह का मामला हिसार में सामने आया है। जांच करने पर ही तस्‍वीर साफ हो सकेगी कि आखिर मौत किस तरह से हुई।

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